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कापरड़ा तीर्थ ।
(११) आचार्य श्री विजयवल्लभ सूरिजीने अपने शिष्य मंडल सहित इस तीर्थ की यात्रा कर इस बात को जानके परम प्रसन्न हुए कि आचार्य श्री विजय मिसूरिजी महाराज के सुप्रयत्न से इस तीर्थ का उद्धार हुआ। आपने वेदर्थ सूरिजी की मुक्तकंठ से प्रशंसा की । परन्तु इस विशाल तीर्थ पर धर्मशाला की त्रुटि आपको खटकने लगी । आपने इस लिये जोरदार उपदेश दिया जिस के फल स्वरूप यहाँ छोटी परन्तु रम्य धर्मशाला बन चुकी है। जहाँ यात्रियों को बहुत साता पहुँचती है। जिन सञ्जनोंने इस धर्मशाला में कमरे बनवा दिये उनके लिये भी हमारे दिल में संमान और स्थान है ।
(१२) इस उद्धार के कार्य में उपर्युक्त महानुभावों के अतिरिक्त अन्य महाशयोंने भी सहायता पहुँचाई है । उनके प्रति भी हम आभारी हैं। वास्तव में वे बड़े भाग्यशाली नर हैं।
यह जानकर आपको अवश्य प्रसन्नता होगी कि अब इस तीर्थ की व्यवस्था का कार्य बहुत सुचारुरूप से हो रहा है। जिसके प्रबंध के लिये एक कार्यकारिणी समिति नियुक्त है। देखरेख में विशेष अभिरुचि श्रीमान् सेठ पन्नालालजी साहब बीलाड़ा निवासी रखते हैं। पीपाड़ के अन्य सभासद भी इस कार्य में तनदेही से कार्य करते हैं ।
पेढी का नाम आनंदजी कन्याणजी है । तात्कालिक