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________________ सुवर्ण नामावली । .. (६) इस महान कार्य के अदालती कार्यो में दिलोजान से मदद करनेवाले जोधपुर के जैन वकील श्रीमान् जालमचंदजी साहब आदि वकील मंडली का भाभार भूला नहीं जा सकता। (७) इस प्राचीन तीर्थ के उद्धार व प्रतिष्टा के समय सामग्री आदि की सहायता देकर पीपाड़ आदि आसपास के गांवोंकी जनता ने सेवा की वह भी चिरस्मरणीय रहेगी। (८) इस संकीर्णता के समय में भी पाली श्री संघकी उदारवृत्ति विशेषतया श्लाघनीय है। जिन्होंने पालीका श्रीनौलखा पार्श्वनाथजी के मन्दिर से श्रीशांतिनाथ भगवान् की मनोहर मूर्ति इस तीर्थ के अर्थ दी जो अब मूलनायकजी के बाँई ओर विराजमान है। सूर्य उदय होते ही प्रथम बार इसी मूर्ति का दर्शन करता है। (8) पाली निवासी संघपति किशनलालजी सम्पतलालजीने पालीसे संघ निकाल सूरिजी की अध्यक्षता में यहाँ के दर्शन कर अपने मानव जीवन को सफल किया। तेदर्थ भाप हमारे विशेष धन्यवाद के पात्र है। (१०) हम बड़े कृतघ्न होंगे यदि खंभात और अहमदावाद के उन महापुरुषों का हृदयसे आभार न मानें जिन्होंने सूरीश्वर के सदोपदेश से जिन प्रतिमाएँ देकर हमें चिर ऋणी बनाया ।
SR No.032646
Book TitlePrachin Tirth Kapardaji ka Sachitra Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1932
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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