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कापरड़ाजी का विशाल मन्दिर -
JOB
जोधपुर नरेश महाराजा गजसिंहजी के शासन काल में भण्डारी - कुल भूषण भानुमल्लजी जेतारण की हकूमत के हाकिम नियुक्त थे । भंडारीजी पक्के जैनी थे । ये गुणों के आगार थे । धर्मज्ञ --नीतिज्ञ - वीर - उदार -- कार्यकुशल होने के अतिरिक्त ये दृवती, प्रतिज्ञापालक और सच्चे स्वामीभक्त भी थे । यद्यपि ये इतने उच्च पद पर अधिकारी थे तथापि श्रभिमान तो इन्हे छू तक भी न गया था । कूट नीतिज्ञता इनसे कोसों दूर थी । ये शान्त और राज्य - प्रजा हितचिन्तक थे । इनके द्वारा जनता की निरन्तर भलाई हुई जिसके फलस्वरूप इन्हें आशीर्वाद प्राप्त होता था । राज्य कार्य में संलग्न रहते हुए भी ये धार्मिक आवश्यक कार्य के बड़े दृढ़ थे । शुभ कार्यों और नेक पुरुषों के मार्ग में बाधाएं आती हैं यह तो एक कलिकाल की कठिन कसौटी मात्र है । तदनुसार किसी चुगलने दरबार के पास जाकर इनके विषय में मिथ्या बातें कहीं । उस दुष्ट चुगलखोर की चिकनी चुपडी बातों पर महाराजने विश्वास कर लिया। फिर क्या था । तुरन्त आज्ञा हुई कि भंडारी को पकड़ कर लाओ और यहां जल्दी पेश करो । आज्ञा देते समय कुछ भी सोच विचार नहीं किया गया । सत्ता के नशे में ऐसी त्रुटिये हो जाना सम्भव