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________________ ग्रामका इतिहास । दूर दूर विख्यात है । पुराने ज़माने में इस की राजधानी मंडोवर में थी परन्तु इस समय जोधपुर में हैं । इस नगर को राव जोधाजीने ता० १२ मई सन् १४५८ को बसाया है। इस राज्य के २२ विभाग है । प्रत्येक विभाग परगना कहा जाता है। उन परगनों में बीलाड़ा एक महत्वशाली परगना है जिस का केन्द्र बीलाड़ा नगर है। यह तीर्थ इस परगने के गौरवकी वृद्धि कर रहा है। यह तीर्थ जोधपुर नगर से २८ मील की दूरी पर है । वहाँ पहुँचने के लिये प्रतिदिन जोधपुर से सीधी मोटर कापरड़ा जाती है। यदि रेल्वे से जाना चाहें तो स्टेशन पीपाड़ सीटी से यह स्थान ८ मील दूर है और सेलारी से केवल ५ मील की दूरी पर ही स्थित है। इस समय कापरड़ा एक छोटासा ग्राम है । परन्तु पहले यहाँ घनी आबादी थी। कापरड़ा नगर अपनी अधिक बस्ती के कारण दूर दूर प्रसिद्ध था । दूर की बात नहीं, विक्रम की सत्रहवीं शताब्दी में यहाँ पर ५०० घर तो केवल ओसवालों के ही थे। संभव है जहाँ जौनयों की इतनी बड़ी संख्या थी वहाँ कई जिनमन्दिर और उपाश्रय भी होंगे। इसका प्रमाण यह है कि यहाँ की भूमि से स्वयंभू पार्श्वनाथ भगवान् की मूर्ति प्राप्त हुई थी। इस से इस बातका अनुमान लगाया जा सकता है कि कदाचित यवनों के अत्याचारों और आक्र बादी थी। दूर की बात केवल ओसवाया सत्रहवीं शताभासद्ध था। दरअपनी अधिक
SR No.032646
Book TitlePrachin Tirth Kapardaji ka Sachitra Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1932
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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