________________
कापरड़ा तीर्थ । इस वीर-भूमि पर एक एक से बढ़ कर वीर, धीर और धुरंधर नररत्न हुए जिन्होंने ऐसे ऐसे चोखे और अनोखे कार्य कर दिखाये कि कदाचित ही कहीं और प्रान्त के निवासियोंने कर दिखायें हो । अर्वाचीन और प्राचीन इतिहास इस बात को सुवर्णाघरों में दिखा रहे हैं। पिछली शतान्दियों में मारवाड़ की सीमा बहुत विस्तृत थी। वर्तमान समय में मारवाड़ राज्य का क्षेत्रफल ३५,०१६ वर्गमील है और जनसंख्या १८,४१,६४२ है। भारावली पहाड़ी की नैसर्गिक छटा भी निहारने योग्य है।
वह यही भूमि है जहाँ महाजन संघ (पोसवाल, पोर. वाल और श्रीमाल आदि जातियों) की उत्पत्ति उपकेश गच्छाधिप आचार्य रत्नप्रभसूरि द्वारा हुई है। मारवाड़ प्रान्त के निवासियों का रहन-सहन, खान-पान, प्राचार-व्यवहार, रीति-नीति, जल-वायु तथा उदारता और वीरता प्राज पर्यंत
१ मुगल ( राज) काल में मारवाड़ में लगभग प्राधा वर्तमान राजपूताना प्रान्त सम्मिलित था । २ मारवाड़ का क्षेत्रफल
आयरलैंड और स्काटलैंड से बड़ा है । ३ हिन्दू १५,८३,३९४ मुसलमान १,९४,४०६ जैन १,०३,१०६ [श्वेताम्बरी ७१,६६० स्थान॰ [ ढूँढीया ] २०,४४६ तेरहपन्थी ५,८४४ दिगम्बरी ४,१५६ ] लामजहब ६,५७७, ईसाई २९९ आर्यसमाजी ४८८ पारसी ६२ सिक्ख १६. ( सन् १९२१ में)