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________________ प्रि ऐतिहासिक दृष्टि से वर्णित प्राचीन तीर्थ कापरड़ा. *F*-- य पाठक वृन्द ! आइए मैं आज आपको एक ऐसे दर्शनीय स्थान की सैर कराऊँ जिसे देख कर अवश्य आपका चित्त प्रसन्न होगा । इस पुनीत तीर्थ के अवलोकन करने से आपके हृदय में अपूर्व धार्मिक भावनाएँ उत्पन्न होंगी। प्रारम्भ ही में मैं यह अपील करना चाहता हूँ कि इस ट्रेक्ट को आप एक बार शुरू से लेकर अन्त तक पढ़ जाइये । यद्यपि इसमें आपका अमूल्य समय तो अवश्य खर्च होगा परन्तु इस प्राचीन तीर्थ के इतिहास के जानने से आपको असीम हर्ष उत्पन्न होगा । वास्तविक अनुभव तो इस तीर्थ को भेटने से ही प्राप्त होगा तथापि इस पुस्तक को पढ़ने से आपको यात्रा के अवसर पर कई गुना अधिक श्रानन्द प्राप्त हो । भारतवर्ष के वक्षस्थल में स्थित राजपूताने की वीरता की गाथा कहाँ नहीं गाई जाती ? उसी प्रसिद्ध प्रान्त के अन्तर्गत मारवाड़ है जिसे मरुस्थल अथवा मरुभूमि कहते हैं ।
SR No.032646
Book TitlePrachin Tirth Kapardaji ka Sachitra Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1932
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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