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________________ कापरड़ा तीर्य । १५ रातामहावीरजी-यह बीजापुर के पास एक प्राचीन तीर्थ है । पहले यह हथूडी नामक राठोडों के अधिकार में एक विशाल नगरी थी । पूर्वाचार्यों ने उन राठोडों को जैनी बनाया था जिनके वंशज आज गोडवाड़ प्रान्त में हथुडिये राठोड जैन नाम से प्रसिद्ध हैं। १६ नाकोडा पार्श्वनाथ-यह मेवानगर नामक अति प्राचीन नगर था जहाँ जैनियों की अच्छी आबादी थी । इस समय यहाँ सिर्फ तीन प्राचीन मन्दिर मौजूद हैं । यह बालोतरेसे ६ मील की दूरी पर स्थित है । यहाँ हर साल पौष कृष्णा १० का मेला भरता है। १७ पाली-यह प्राचीन नगर पहले व्यापार का बड़ा केन्द्र था । नवलखा पार्श्वनाथजी का मन्दिर बहुत प्राचीन समय का है । इस के सिवाय भाखरी पर और नगर में ६ मन्दिर हैं । १८ सोजत—यहभी प्राचीन नगर है जहाँ कई प्राचीन मन्दिर हैं। १९ अजमेर--यह चौहानोंकी पुरानी राजधानी है । राज. स्थान का केन्द्र है । यहाँ भी जैनों के तीर्थ रूप प्राचीन मन्दिर हैं। २० जोधपुर--इसे वि. सं. १९१५ में राव जोधाजीने बसाया है । यहाँ जैनियों के १० मन्दिर हैं। २१ बीकानेर-यह वि. सं. १९४१ में बीकाजी से
SR No.032646
Book TitlePrachin Tirth Kapardaji ka Sachitra Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1932
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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