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________________ भूमिका. महोवासे एक आदश्विर भगवान् का मन्दिर उडाकर यहाँ लाए । यहाँ भी प्रति वर्ष एक मेला भरता है । । १२ वरकाणा-यहाँ का मन्दिर भी प्राचीन है। यहाँ प्रति वर्ष पोष कृष्ण १० का बड़ा भारी मेला भरता है । क्योंकि यह तीर्थ गोडवाड़ प्रान्तका केन्द्र है । यहाँ का पार्श्वनाथ जैन विद्यालय अच्छी तरक्की पर है । गोडवाड़ प्रान्त में शिक्षा प्रचारकी यह उत्तम और प्रथम संस्था है। १३ घाणेराव यहाँ से थोड़ी दूर पर मूछाला महावीरजी का धाम तीर्थ है । गाँव में भी कई विशाल मन्दिर हैं। यहाँ प्रति वर्ष कार्तिक शुक्ला १५ का बड़ा मेला भरता है। १४ राणकपुर-यह तीर्थ मारवाड़ की सादड़ी से ६ मील दूर अरावली पहाड़ियों की घाटियों में प्राकृतिक छटासे अति शोभायमान है । इस तीर्थ की विशेष प्रसिद्धिका कारण इस की आश्चर्य जनक भीमकाय इमारत है। भारतवर्ष में यह अपनी सानी का एक ही मन्दिर है। इसकी बनावट को देखकर दर्शक चकित रह जाते हैं। अगर आपने अबतक इस तीर्थ के दर्शन का लाभ न उठाया हो तो मैं अनुरोध करूँगा कि आप एकबार अवश्य पधारकर अपने मानव जीवनको सफल कीजिये । चैत्र कृष्णा ८ का बड़ा मेला भरता है । इस तीर्थ की यात्रार्थ दूर दूर से यात्री आते हैं । यह मारवाड़ के तीर्थों का नायक कहा जाय तो भी कोई अत्युक्ति न होगी । कारण इसका नामही त्रैलोक दीपक है।
SR No.032646
Book TitlePrachin Tirth Kapardaji ka Sachitra Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1932
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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