________________
( १४ )
नं ० ६ - जाति सुधार के आशय से निश्चित हुआ कि(i) १३ बरस से कम कन्या और १८ वर्ष से कम पुत्र का विवाह
न हो ।
(ii) विवाह और मरणं समय व्यर्थ व्यय रोका जाय और वेश्या नृत्य बन्द किया जाय ।
(iii) वृद्ध पुरुष का बालिकाओं से विवाह बन्द हो ।
(iv) पर्दा प्रथा हटा ली जाय ।
इस प्रस्ताव को श्री श्रमरचन्द परमार बम्बई निवासी ने उपस्थित किया और श्री० त्रिभुवनदास उघवजी शाह B. A. LL.B. श्रहमदाबाद निवासी, श्री० रतनचन्द ऊर्भीचन्द सूरत निवासी, श्री घीसाराम 'निर्भयराम पुरावीयर भावनगर निवासी ने इसका समर्थन किया ।
न ० ७ - सेठ मानिकचन्द हीराचन्द जे० पी० ने इस अधिवेशन का - सब से अधिक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किया – समाज में अनैक्य फैलाने-वाले तीर्थक्षेत्र सम्बन्धित कचहरी में मुकदमेबाजी का अन्त करने के लिये स्वेताम्बर कांफ़रेन्स और दिगम्बर महासभा के ६-६ सदस्यों की कमेटी बनाई जाये । इसका समर्थन सभापति महोदय ने स्वतः किया । उन्होंने कहा की कचहरी के झगड़े व्यक्तिगत हैं, मूनीम और मैनेजरों ने चलाये हैं, खेद है कि समाज इन स्वार्थी लोगों के बहकाये में श्रा गया है ।
दु:ख के साथ कहना पड़ता है कि प्रस्तावानुसार कमेटी श्राज तक न बनी और कचहरियों के झगड़ों में समाज का लाखों रुपया बुरी तरह बरबाद हुआ और अब भी हो रहा है।
न० ८ – साम्प्रदायिक पक्षपात से प्रेरित होकर धर्म की आड़ में जो पारस्परिक श्राघात प्रघात किये जाते हैं वह बन्द होने चाहियें - इस प्रस्ताव पर कारभारी जी और प्रोफ़ेसर लटूठे के भाषण हुए ।
नं० १० – यह देखकर कि समान का लाखों रुपया तीर्थक्षेत्रों के - नाम पर विविध प्रकार के खातों में, भिन्न व्यक्तिसों के पास पड़ न