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( १५ ) है, उस द्रव्य की सुरक्षा और सदुपयोग के विचार से उचित प्रतीत होता है कि समस्त देवद्रव्य एक सेन्ट्रल जैन बैंक में रक्खा जाये और उस . बैंक की स्थानीय शाखा मुख्य स्थानों में स्थापित हो।
यह प्रस्ताव सेठ गुलाबचन्द देवचन्द बम्बई निवासी ने उपस्थित किया और श्रीयुत् मानिकचन्द वकील खंडवा, सुलतानसिंह वकील मेरठ, और श्री० नगीनदास जमनादास ने उसका समर्थन किया।
खेद है कि ऐसे जैन बैंक की स्थापना अब तक नहीं हुई।
न०१२-जैन समाज के प्रतिनिधि समाज की तरफ से निर्वाचित होकर सेंट्रल और प्राविंशल काउन्सिल में लिये जाये।
सभापति महोदय को धन्यवाद का प्रस्ताव अहमदाबाद निवासी सेठ कुंवर बी आनन्दजो, बाड़ीलाल सब जज अहमदाबाद और श्रीयुत् ए० वी० लट्टे कोल्हापुरी के भाषण से उपस्थित हुआ।
सेठ छोटालाल नवलचन्द नगरसेठ संदेर ने दूसरे दिन सभापति महोदय और सब मेहमानों को प्रीतिभोज दिया।
दसवाँ अधिवेशन दसवाँ अधिवेशन दिसम्बर १९०८ में हिसार निवासी श्री बांकेराय वकील की अध्यक्षता में मेरठ नगर में सम्पन्न हुआ। तीर्थक्षेत्र सम्बन्धी विवादस्थ विषयों के निर्णयार्थ पंचायत बनाने का
प्रस्ताव हुश्रा । इस विषय में समाचार पत्रों में, और भिन्न श्रानाय के . अधिवेशनों में खूब आन्दोलन होता रहा, किन्तु सफलता न मिली;
और जैन समाज का लाखों रुपया आपसी मुकदमों में बरबाद हुश्रा। मेरठ में जैन छात्रालय स्थापन करने का भी निश्चय हुआ। यह छात्रालय १९१२ में खुल गया और अब यथेष्ठ उन्नति पर अपने निजी विशाल भवन में चल रहा है । अध्यापिका तैयार करने के लिये विधवा बहनों को छात्रवृत्ति प्रदान की गई। ।