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________________ परिवर्तन - प्रकरण रामपरसन तेरे कर मैं कृपान फते की फरमान राखै सान हिंदुशान की ॥ २ ॥ मंजु मलयाचल के पौन के प्रसंगन ते, लाल-लाल पल्लव लतान लहकै लगे; फूलै लगे कमल गुलाब श्राबवारे घने, संकर पराग भू - अकास बहकै लगे । बोलै लगे कोकिल भनंत भौंर डोलै लगे, चोप सों अमोलै मकरंद चहकै लगे नेकौ ना अटक चढ़यों काम को कटक चारु, चारयौ श्रोर चटक सुगंध महकै लगे ॥ ३ ॥ 'विवरण- -इनका कविताकाल १८६५ जान पड़ता नाम - ( १७८९ ) निहाल । ग्रंथ - (1) महाभारत भाषा, ( २ ) साहित्यशिरोमणि (१८६३), (३) सुनीतिपंथप्रकाश (१८१६ ), (४) सुनीतिरत्नाकर ( १६०२ ) । -रचनाकाल - १८१६ । [ खोज, १६०३, १६०४ ] विवरण - ये राजा, करमसिंह और नरेंद्रसिंह दोनों पटियालानरेशों के यहाँ थे । हम इन्हें साधारण श्रेणी में रक्खेंगे । उदाहरण - १०२७ जल बिनु सर जैसे, फल बिनु तरु जैसे, सुत बिनु घर जैसे, गुन बिनु रूप है; सन बिनु बीर जैसे, फर बिनु तीर जैसे, खाँड़ बिनु खीर जैसे, दिन बिनु धूप है। - दया बिनु दान, गुन बिनु ज्यों कमान, जैसे तान बिनु गान, जैसे नीरहीन कूप है;
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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