SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 96
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मिश्रबंधु विनोद ( १७८८ ) शंकर कवि ये महाशय कवि धनीराम के पुत्र और कवि सेवकराम के ज्येष्ठ भ्राता, असनी निवासी थे । आप बाबू रोमप्रसन्नसिंह रईस काशी के यहाँ रहे। इनका जन्मकाल निश्चित रूप से विदित नहीं है, परंतु सेवकराम के पूर्वज होने से अनुमान किया जा सकता है। कि ये लगभग संवत् १८६६ में उत्पन्न हुए होंगे । इनके वंश इत्यादि का विशेष विवरण कवि सेवकराम के वर्णन में द्रष्टव्य है । इनका कोई ग्रंथ हमारे दृष्टिगोचर नहीं हुआ, परंतु सेवकज़ी की जीवनी से विदित होता है कि इन्होंने ग्रंथ भी बनाए हैं । यह समालोचना इनकी स्फुट कविता के आधार पर लिखी गई है। इनकी रचना रस- पूर्ण एवं भाषा प्रशंसनीय है । ये महाशय तोष कवि की श्रेणी के हैं। उदाहरण-स्वरूप तीन छंद उद्धृत किए जाते हैंसोहत प्रकास मैं श्रनिंद इंदु रूप साजि, संकर बखानै दीह दुति को धरत सीतल बिमल गंग-जल है महीतल मैं, परम पुनीत पाप-पंजनि दरत है । पैठि के पताल मैं रसाल सेस रूप राजै, कहाँ लौं गनाऊँ यौं समंत बिहरत रावरो सुजस भूप रामपरसनसिंह, श्रोक भोक तीनो लोक पावन करत है ॥ १ ॥ कैधौं तेज बाड़व की सोहै धूम धार कैधौं, दीन्हीं उपहार बज्र बासव प्रमोन की; संकर बखानै डसै खल को भुअंगिनी-सी, देखी चारु कीरति निकेत या विधान की । तारिबे को सुर-पुर जान की; १०२६ कैधौं तेरे बैरिन के बंस रन-सागर मैं सेतु मग
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy