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मिश्रबंधु-विनोद
नाम-(१७८६ ) उमादास । ग्रंथ-(१):महाभारत-भाषा, (२) कुरुक्षेत्र-माहात्म्य (१८६४),
(३) नवरत्न, (४) पंचरत्न, (५)पंचयज्ञ, (६) माला
( १८६४) कविताकाल-१८६४ । [ खोज १९०४ ] विवरण-महाराजा करणसिंह पटियाला नरेश के यहाँ थे। इनकी
कविता साधारण श्रेणी की है। उदाहरणकृपाहू के पारावार गुण जाके हैं अपार,
सुंदर विहार मन हार है उदार है; जाके बल को निहार चीर ना धरै सँभार,
अरिन की नार बेग चढ़त पहार है। श्रीगुरु गोविंदसिंह सोढ़ बंस महा बाहु,
बार-बार सेवक को सदा रखवार है। नराकार निराकार निराधार असधार,
भू-उधार जगधार धर्म धार धार है। नाम-(१७८७ ) जीवनलाल ब्राह्मण नागर, बूंदी। ग्रंथ-(१) उषाहरण, (२) दुर्गाचरित्र, (३) भागवत-भाषा,
(४) रामायण, (१) गंगाशतक, (६) अवतारमाला,
(७) संहिता-भाष्य। जन्मकाल-१८७०। रचनाकाल-१८६५। मृत्यु-१६२६ । विवरण---ये संस्कृत, फारसी और भाषा के अच्छे ज्ञाता थे । संवत्
१८१८ में ये रावराजा बूंदी के प्रधान नियुक्त हुए, जिस पद का काम इन्होंने बड़ी योग्यता से किया। संवत्