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________________ १०२४ मिश्रबंधु-विनोद नाम-(१७८६ ) उमादास । ग्रंथ-(१):महाभारत-भाषा, (२) कुरुक्षेत्र-माहात्म्य (१८६४), (३) नवरत्न, (४) पंचरत्न, (५)पंचयज्ञ, (६) माला ( १८६४) कविताकाल-१८६४ । [ खोज १९०४ ] विवरण-महाराजा करणसिंह पटियाला नरेश के यहाँ थे। इनकी कविता साधारण श्रेणी की है। उदाहरणकृपाहू के पारावार गुण जाके हैं अपार, सुंदर विहार मन हार है उदार है; जाके बल को निहार चीर ना धरै सँभार, अरिन की नार बेग चढ़त पहार है। श्रीगुरु गोविंदसिंह सोढ़ बंस महा बाहु, बार-बार सेवक को सदा रखवार है। नराकार निराकार निराधार असधार, भू-उधार जगधार धर्म धार धार है। नाम-(१७८७ ) जीवनलाल ब्राह्मण नागर, बूंदी। ग्रंथ-(१) उषाहरण, (२) दुर्गाचरित्र, (३) भागवत-भाषा, (४) रामायण, (१) गंगाशतक, (६) अवतारमाला, (७) संहिता-भाष्य। जन्मकाल-१८७०। रचनाकाल-१८६५। मृत्यु-१६२६ । विवरण---ये संस्कृत, फारसी और भाषा के अच्छे ज्ञाता थे । संवत् १८१८ में ये रावराजा बूंदी के प्रधान नियुक्त हुए, जिस पद का काम इन्होंने बड़ी योग्यता से किया। संवत्
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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