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________________ परिवर्तन-प्रकरण १०२३ परमधर्मनिर्णय, (१७) शांतिशतक, (१८) वेदांतपंचकशतिका, (१६) गीतावली पूर्वार्द्ध, (२०) ध्रुवाष्टक, (२१) उत्तम . नीतिचंद्रिका, ( २२ ) अबाध नीति, ( २३ " पाखंडखंडिनी, (२४) आदि मंगल, (२५) वसंत, (२६) चौंतीसी, (२७) . चौरासी रमैनी, (२८) कहरा, (२६) शब्द, (३०) विश्वभोजनप्रकाश और (३१) साखी। आपका केवल एक कवित्त दिया जाता है, जिससे कविता-चमत्कार प्रकट है। उदाहरण बाजी गज सोर रथ सुतुर कतारे जेते, . प्यादे ऐंडवारे जे सबीह सरदार के; कुँअर छबीले जे रसीले राजवंशवारे, सूर अनियारे अति प्यारे सरकार के । केते जातिवारे केते-केते देशवारे जीव, श्वान सिंह आदि सैलवारे जे शिकार के ; डंका की धुकार द्वै सवार सबै एक बार, राजै वार पार कार कोशल कुमार के । नाम-( १७८५ ) गोस्वामी गुलाललाल, वृदावनवासी, अनन्य संप्रदायवाले । ग्रंथ-अनन्य सभामंडल । कविताकाल-संवत् १८६२ । विवरण-पहले पूजा इत्यादि का वर्णन किया। उसके पीछे साल. भर के उत्सव कहे हैं । ग्रंथ ७०० श्लोकों के बराबर है। यह हमने दरबार छतरपुर में देखा । काव्य इसका निम्न श्रेणी का है। समय जाँच से मिला है। [द्वि० ० खो०]
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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