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________________ १२८० मिश्रबंधु-विनोद (२३८९ ) विशाल कवि ( भैरवप्रसाद वाजपेयी) इनका जन्म संवत् १९२६ में, लखनऊ-शहर, मोहल्ला खेतगली में, हुआ था। आपके पिता का नाम पंडित कालिकाप्रसाद था । पाप उपमन्युगोत्री चूड़ापतिवाले अाँक के वाजपेयी थे। आपका विवाह हमारी दूसरी बहन के साथ संवत् १९३८ में हुआ था और उसी समय से आप हमारे यहाँ विशेष आने-जाने लगे तथा कुछ वर्षों के पीछे हमारे ही यहाँ रहने भी लगे। इन कारणों से इनसे हम लोगों का विशेष प्रेम हो गया था। आपने अँगरेज़ी-मिडिल पास किया, पर उसकी प्रसन्नता में एंट्रेंस में अच्छा परिश्रम न किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि इस परीक्षा में श्राप उत्तीर्ण न हो सके । हमारे पिताजी कवि थे, तथा गधौली-निवासी लेखराजजी और उनके पुत्र लालविहारी और जुगुलकिशोर भी कविता करते थे । ये लोग हमारी बिरादरी में हैं और इनके यहाँ जाना-बाना सदैव रहता था। शिवदयालु पांडेय उपनाम भेष कवि भी हमारे संबंधी थे और हमारे यहाँ पाया-जाया करते थे। इन कारणों से हमारे यहाँ कविता की सदैव चर्चा रहती थी। सो विशालजी को भी बाल्या. वस्था से ही काव्य-रचना का शौक हो गया। पहले तुलसी-कृत रामायण एवं काशिराज का भाषा-भारत इन्होंने पढ़ा और पीछे हमारे पिताजी से केशवदास की रामचंद्रिका पढ़ी। इसी के पीछे श्राप काव्य-रचना करने लगे। लालविहारीजी ने इनका कविता का नाम विशाल रख दिया और तभी से ये इसी नाम से रचना करने लगे। एंट्रेस फेल हो जाने के पीछे इनके माता-पिता का देहांत हो गया। इनके भाई-बहन आदि कोई निकट का संबंधी न था । इधर जीविका-निर्वाह की कोई चिंता न थी। सो इनका मन काम-काज से छटकर कविता ही में लग गया। अब आपने गंधौली में प्रायः डेढ़ साल रहकर पंडित जुगुलकिशोर मिश्र से दशांग कविता सीखी।
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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