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मिश्रबंधु-विनोद (२३८९ ) विशाल कवि ( भैरवप्रसाद वाजपेयी) इनका जन्म संवत् १९२६ में, लखनऊ-शहर, मोहल्ला खेतगली में, हुआ था। आपके पिता का नाम पंडित कालिकाप्रसाद था । पाप उपमन्युगोत्री चूड़ापतिवाले अाँक के वाजपेयी थे। आपका विवाह हमारी दूसरी बहन के साथ संवत् १९३८ में हुआ था और उसी समय से आप हमारे यहाँ विशेष आने-जाने लगे तथा कुछ वर्षों के पीछे हमारे ही यहाँ रहने भी लगे। इन कारणों से इनसे हम लोगों का विशेष प्रेम हो गया था। आपने अँगरेज़ी-मिडिल पास किया, पर उसकी प्रसन्नता में एंट्रेंस में अच्छा परिश्रम न किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि इस परीक्षा में श्राप उत्तीर्ण न हो सके । हमारे पिताजी कवि थे, तथा गधौली-निवासी लेखराजजी और उनके पुत्र लालविहारी और जुगुलकिशोर भी कविता करते थे । ये लोग हमारी बिरादरी में हैं और इनके यहाँ जाना-बाना सदैव रहता था। शिवदयालु पांडेय उपनाम भेष कवि भी हमारे संबंधी थे
और हमारे यहाँ पाया-जाया करते थे। इन कारणों से हमारे यहाँ कविता की सदैव चर्चा रहती थी। सो विशालजी को भी बाल्या. वस्था से ही काव्य-रचना का शौक हो गया। पहले तुलसी-कृत रामायण एवं काशिराज का भाषा-भारत इन्होंने पढ़ा और पीछे हमारे पिताजी से केशवदास की रामचंद्रिका पढ़ी। इसी के पीछे श्राप काव्य-रचना करने लगे। लालविहारीजी ने इनका कविता का नाम विशाल रख दिया और तभी से ये इसी नाम से रचना करने लगे। एंट्रेस फेल हो जाने के पीछे इनके माता-पिता का देहांत हो गया। इनके भाई-बहन आदि कोई निकट का संबंधी न था । इधर जीविका-निर्वाह की कोई चिंता न थी। सो इनका मन काम-काज से छटकर कविता ही में लग गया। अब आपने गंधौली में प्रायः डेढ़ साल रहकर पंडित जुगुलकिशोर मिश्र से दशांग कविता सीखी।