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वर्तमान प्रकरण
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चंचल जो सफरी फरक मनु मंजु नसी कटि किंकिनि डोरो ; सेत बिहंगनि की सुठि पंगति राजति सुंदर हार जौं गोरी। तीर के बृच्छ बिसाल नितंब सुमंद प्रबाह भई गति थोरी; राजति या ऋतु मैं सरिता गजगामिनि कामिनि सी रसबोरी ॥४।। ( २३८७ ) गौरीशंकर-हीराचंद ओझा रायबहादुर
इन पंडितजी का जन्म संवत् १९२० में, सिरोहीराज्यांतर्गत रोहिड़ा ग्राम में, हुआ था । श्राप सहस्र औदीच्य ब्राह्मण हैं । आपने संस्कृत तथा भाषा की अच्छी योग्यता प्राप्त की है, और आप अँगरेज़ी भी जानते हैं। पुरातत्त्व-अनुसंधान में श्रापको बड़ी रुचि है ; इस विषय में आप परम प्रवीण हैं। ये अजमेर अजायब-घर के अध्यक्ष हैं। आपने प्राचीन लिपिमाला, कर्नल टाड का जीवन-चरित्र, सिरोही का इतिहास, टाड राजस्थान के अनुवाद पर टिप्पणियाँ और सोलंकियों का इतिहास-नामक राजपूताना का इतिहास-ग्रंथ रचे हैं। प्राचीन लिपिमाला के पढ़ने से प्राचीन लिपियों के जानने में योग्यता प्राप्त हो सकती है । पंडितजी ऐतिहासिक ग्रंथमाला-नामक एक पुस्तकावनी प्रकाशित कर रहे हैं जिसमें इतिहास-ग्रंथ छपते हैं। आप एक सुलेखक
और परम सतोगुणी प्रकृति के मनुष्य हैं, और आपके प्रयत्नों से भाषा में इतिहास-विभाग के पूर्ण होने की आशा है । आप हिंदी-साहित्यसम्मेलन से १२००) पुरस्कार पा चुके हैं।
___ (२३८८ ) विनायकराव (पंडित ) आपका जन्म १९१२ में हुआ था । आप १००) मासिक पर होशंगाबाद के हेड मास्टर थे। अंत में २२०) के वेतन से आपने पेंशन पाई । आपने हिंदी की प्रायः २० पुस्तकें रची, जो विशेषतया शिक्षा विभाग की हैं। आपने रामायण की विनायकी टीका की है, जो प्रशंसनीय है और काव्य-रचना भी की है।