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वर्तमान प्रकरण
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जीवनी, (७) बाबू साहबप्रसादसिंह की जीवनी, (८) | श्रीसीतारामशरण भगवानप्रसाद की जीवनी, (६) बाबा सुमेरसिंह साहबजादे की जीवनी, (१०) गोस्वामी तुलसीदास की जीवनी । आप उर्दू की भी शायरी करते और समस्यापूर्ति भी मंडलों और समाजों में भेजते हैं ।
( २३६९ ) उमादत्तजी ( उपनाम दत्त )
ये कान्यकुब्ज ब्राह्मण दरबार अलवर के कवियों में हैं। आपकी अवस्था इस समय लगभग ६० साल की होगी। इनकी कविता बड़ी ही सरस तथा सोहावनी होती है ।
उदाहरण
गेह ते निकसि बैठि बचत सुमनहार, देह-दुति देखि दीह दामिनि लजा करै ; मदन उमंग नव जोबन तरंग उठें,
बसन सुरंग अंग भूषन सजा करै । दत्त कवि कहै प्रेम पालत प्रवीननं सों,
बोलत अमोल बैन बीन-सी बजा करें; गुजारत बजार मैं नचाय नैन, मंजुल मजेज भरी मालिनि मजा करै ॥ १ ॥ मूक जातीं सौतें सब दीरघ दिमाक देखि,
रसिक बिलोकि होत बिकल निहारे मैं ; भरत न झारे थके गाड़रू बिचारे जरी, तंत्र-मंत्र बिबिध प्रकार उपचारे मैं 1 दत्त कवि कहै मन धरत न धीर जौं, कैसे बचें कुटिल कटाच्छ फुसकारे मैं ; विषधर भारे नाग कारे नैन कामिनि के,
काटि छिपि जात हाय पलक पिटारे मैं ॥ २ ॥
गजब