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मिश्रबंधु-विनोद ( २३७०) रामनाथजी कविराव, बूंदी। ये कविराव गुलाबसिंह के भतीजे तथा दत्तक पुत्र हैं । आप संस्कृत तथा भाषा के अच्छे पंडित और कवि, दरबार बूंदी के आश्रित हैं। कविता अच्छी करते हैं । इस समय आपकी अवस्था लगभग ६० वर्ष की होगी। आपने छोटे बड़े ११ ग्रंथ बनाए, जिनके नाम समस्यासार, सती-चरित्र, रामनीति, नीतिसार, शंभुशतक, परमेश्व राष्टक, गणेशाष्टक, सूर्याष्टक, दुर्गाष्टक, शिवाष्टक, और नीतिशतक हैं। उदाहरणबंदन बलित अति मंडित बिचित्र भाल,
तम के समूह सम भ्रात गिरिराज के; मदजल भरत चलत लचकत भूमि,
पर दल मलत सुनत गल गाज के । कहै रामनाथ भननात भौंर चारौ श्रोर, ___ लखि अभिलाख होत मन सुख साज के ; कज्जन ते कारे बलवारे दिग दंतिन ते,
उन्नत दतारे भारे रामसिंह राज के ॥ १॥ ( २३७१ ) सीताराम बी० ए०, ( उपनाम भूप कवि)
ये महाशय कायस्थ-कुलोद्भव अयोध्या-निवासी लाला शिवरत्न के पुत्र हैं। इन्होंने बी० ए० पास करके फ़ैजाबाद स्कूल में द्वितीय शिक्षक का पद ग्रहण किया। थोड़े दिनों के पीछे आप डेपुटी कलेक्टर नियत हुए और आजकल पेंशनर हैं। इनकी अवस्था प्रायः ७० वर्ष की है । ये महाशय संस्कृत और भाषा के अच्छे विद्वान् हैं, और इनकी प्रकृति ऐसी श्रमशील रही है कि ये अपने सरकारी कार्य के अतिरिक्त देशोपकारार्थ भी कुछ-न-कुछ लिखा ही करते हैं । इन्होंने संवत् १६४३ तक कालिदास-कृत रघुवंश के सात सर्गों का भाषा