________________
मिश्रबंधु-विनोद
( २३४१) फ्रेडरिक पिनकाट
इनका जन्म संवत् १८६३ में, इंगलैंड देश में, हुआ, और वहीं ये प्रायः अपने जीवन पर्यंत रहे । पर भारतीय भाषाओं पर आपका इतना प्रेम था कि श्रार्थिक दरिद्रता होते हुए भी आपने संस्कृत, उर्दू, गुजराती, बँगला, तामिल, तैलंगी, मलायलम और कनाड़ी भाषाएँ सीखीं। अंत में इनको हिंदो से भी प्रेम हुआ और इसे सीखकर इनका अन्य भाषाओं से प्रेम इसके माधुर्य के श्रागे फीका पड़ गया । इन्होंने हिंदी में सात पुस्तकें संपादित कीं, जिनमें कुछ इन्हीं की बनाई हुई भी थीं। आपने यावज्जीवन हिंदी का हित और हिंदी - लेखकों का प्रोत्साहन किया । अंत में संवत् १९५२ में ये भारत को पधारे, पर इसी संवत् के फ़रवरी में इनका शरीर पात लखनऊ में हो गया। आप हिंदी के अच्छे जाननेवालों में से थे ।
( २३४२ ) अंबिकादत्त व्यास साहित्याचार्य इनका जन्म संवत् १९१५ चैत्र सुदी ८ को जयपूर में हुआ था । ये महाशय गौड़ ब्राह्मण थे और काशी इनका निवासस्थान था । संस्कृत के ये अच्छे विद्वान् थे, और यावज्जीवन पाठशालानों एवं कॉलेजों में संस्कृत पढ़ाने का काम करते रहे । इनके अंतिम पद का वेतन १००) मासिक था । अपनी नौकरी के संबंध से ये महाशय बिहार में बहुत रहे । इनका स्वर्गवास संवत् १६५७ में हुआ । ये महाशय संस्कृत तथा भाषा गद्य-पद्य के अच्छे लेखक थे, और इन्होंने चार नाटक-ग्रंथ भी बनाए हैं । यत्र-तत्र इन्हें बहुत-से प्रशंसापत्र तथा उपाधियाँ मिलीं, और इनकी आशुकविता की भी सराहना हुई । इन्होंने संस्कृत और हिंदी मिलाकर ७८ ग्रंथ निर्माण किए हैं, जिनके नाम सन् १६०१वाली सरस्वती के पृष्ठ ४४४ पर लिखे हैं । ललिता नाटिका, गोसंकट नाटक, मरहट्टा नाटक, भारतसौभाग्य नाटक, भाषाभाष्य गद्यकाव्य-मीमांसा, विहारी- विहार, विहारीचरित्र, शीघ्र
१२४६