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मिश्रबंधु-विनोद
मि फहरै फुहारे फबि रही सेज फूलन सों
फेन-सी फटिक चौतरा के पहलन मैं ; चाँदनी चमेली चारु फूले बीच बाग अाजु, बसिए बटोही मालती के महलन मैं ॥ २ ॥
(२२०० ) श्रीकृष्ण जोशी ये एक बड़े सज्जन पहाड़ी ब्राह्मण थे । श्राप पहले बोर्ड माल के दफ्तर में नौकर थे, पर वहाँ से पेंशन लेकर बाराबंकी जिला में राजा पृथ्वीपालसिंह की रियासत के मैनेजर हुए। श्रापका जन्म संवत् १६१० के इधर-उधर हुआ होगा। आपकी बुद्धि बड़ी कुशाग्र थी।
आपने सूर्य की गरमी ले शीशों द्वारा भोजन पकाने की भानुतापनामक मशीन ईजाद की थी । आप हिंदी के लेखक और बड़े ही सजन पुरुष थे। थोड़े दिन हुए अापका शरीरांत हो गया।
(२२०१ ) चंद्रिकाप्रसाद तेवारी ये रायसाहब ज़िला उन्नाव के निवासी कान्यकुब्ज ब्राह्मण हैं । आपकी अवस्था प्रायः ७३ साल की है। आप बहुत दिनों से अजमेर में रहते थे। इनकी पुत्री इंगलैंड के प्रसिद्ध बैरिस्टर पंडित भगवानदीन दुबे को ब्याही है । तेवारीजी रेल के ऊँचे कर्मचारी थे । आपने एक नौकरी से पेंशन ले ली और दूसरी में फिर आप अच्छा वेतन पाते थे। अब आपने उसे भी छोड़ दिया है । श्राप बड़े उत्पाही पुरुष हैं। स्वामी दादूदयाल के ग्रंथ आपने शुद्धतापूर्वक प्रकाशित किए हैं । आप गद्य के अच्छे लेखक हैं। नाम- ( २२०२ ) ज्ञारसोराम चौबे, बूंदी। ग्रंथ-(१) वंशप्रदीप, (२) सर्वसमुच्चय, (३) ललितलहरी,
(४) रघुवीरसुयश-प्रकाश । जन्मकाल-१६१०। कविताकाल-१९३५।