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________________ १३१६ वर्तमान प्रकरण इन्होंने ब्रह्मोत्तरखंड और शिवपुराण का भाषा गद्य में अनुवाद किया और शिवसिंहसरोज नामक एक बड़ा ही उपयोगी ग्रंथ संवत् १९३४ में बनाया । उसमें प्रायः एक सहस्र कवियों के नाम, जन्मकाल और काव्य के उदाहरण लिखे हैं। इन्होंने कविता भी अगली की है। इनका नाम शिवसिंहसरोज लिखने के कारण भाषा-साहित्य में चिरकाल तक अमर रहेगा । जिस समय में कोई भी सुगम उपाय कवियों के समय व ग्रंथों के जानने का न था, उस समय ये । बड़ी मेहनत और धन व्यय से इस ग्रंथ को बनाकर भाषा-साहित्यइतिहास के पथ-प्रदर्शक हुए। हिंदी-प्रेमियों और भाषा पर मापका अगाध ऋण है। इनकी कविता सरस व मनोहर है और कविता की दृष्टि में हम इनको साधारण श्रेणी में रक्खेंगे। उदाहरण महिख से मारे मगरूर महिपालन को,. बीज से रिपुन निरबीज भूमि के दई; शुंभ औ निशुंभ से सँघारि झारि म्लेच्छन को, . दिल्ली दल दलि दुनी देर बिन लै लई । प्रवल प्रचंड भुजदंडन सों खग्ग गहि, चंड मुंड खलन खेलाय खाक के गई ; रानी महरानी हिंद लंदन की ईसुरी से, ईश्वरी समान प्रान हिंदुन के है गई ॥ १ ॥ कहकही काकली कलित कलकंठन की, कंजकली कालिंदी कलोल कहलन मैं ; सेंगर सुकवि ठंढ लागती ठिठोर वारी, ठाठ सब उटे ठगि लेत टहलन मैं ।
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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