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वर्तमान प्रकरण इन्होंने ब्रह्मोत्तरखंड और शिवपुराण का भाषा गद्य में अनुवाद किया और शिवसिंहसरोज नामक एक बड़ा ही उपयोगी ग्रंथ संवत् १९३४ में बनाया । उसमें प्रायः एक सहस्र कवियों के नाम, जन्मकाल और काव्य के उदाहरण लिखे हैं। इन्होंने कविता भी अगली की है।
इनका नाम शिवसिंहसरोज लिखने के कारण भाषा-साहित्य में चिरकाल तक अमर रहेगा । जिस समय में कोई भी सुगम उपाय कवियों के समय व ग्रंथों के जानने का न था, उस समय ये । बड़ी मेहनत और धन व्यय से इस ग्रंथ को बनाकर भाषा-साहित्यइतिहास के पथ-प्रदर्शक हुए। हिंदी-प्रेमियों और भाषा पर मापका अगाध ऋण है।
इनकी कविता सरस व मनोहर है और कविता की दृष्टि में हम इनको साधारण श्रेणी में रक्खेंगे।
उदाहरण
महिख से मारे मगरूर महिपालन को,.
बीज से रिपुन निरबीज भूमि के दई; शुंभ औ निशुंभ से सँघारि झारि म्लेच्छन को, .
दिल्ली दल दलि दुनी देर बिन लै लई । प्रवल प्रचंड भुजदंडन सों खग्ग गहि,
चंड मुंड खलन खेलाय खाक के गई ; रानी महरानी हिंद लंदन की ईसुरी से,
ईश्वरी समान प्रान हिंदुन के है गई ॥ १ ॥ कहकही काकली कलित कलकंठन की,
कंजकली कालिंदी कलोल कहलन मैं ; सेंगर सुकवि ठंढ लागती ठिठोर वारी,
ठाठ सब उटे ठगि लेत टहलन मैं ।