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________________ वर्तमान प्रकरण विवरण – ये महाशय बूँदी दरबार में वंश-परंपरा से कवि हैं। आपकी कविता प्रशंसनीय होती है । उदाहरण राजत गंभीर मरजाद मैं कुसन धीर, करत प्रताप पुंज प्रगटित आठौ जाम ; चहुवान-मुकुट प्रकासित प्रबल श्राजु, तेरे त्रास त्रसित नसाए सत्रु धाम-धाम ! नीति निपुनाई धरि पालत प्रजा को नित, साहिबी मैं सुंदर अमंद है बदायो नाम ; पारावार सदृश प्रियव्रत प्रभाकर से, पारथ से पृथु से पुरंदर से राजा राम । ( २२०३ ) रुद्रदत्तजो शर्मा इनका जन्म सं० १६०३ में हुआ था । योगदर्शन- भाष्य, स्वर्ग में महासभा. स्वर्ग में सबजेक्ट कमेटी नामक पुस्तकें श्रापने लिखीं । आप 'श्रार्यमित्र' के संपादक थे । इनकी रचना से धर्म-संबंधी वर्तमान विचारों का अच्छा ज्ञान होता है। हाल में इनका स्वर्गवास हो गया । इस समय के अन्य कविगण समय संवत् १९२६ के पूर्व नाम - ( २२०४ ) छेदालाल ब्रह्मचारी, कानपूर । ग्रंथ - कई ग्रंथ । नाम - ( २२०५ ) तुलसी ओझा । विवरण - साधारण श्रेणी । नाम - (२२०६ ) नरेश । ग्रंथ - नायिकाभेद का कोई ग्रंथ । विवरण - तोष श्रेणी । नाम - (२२०७ ) नवनिधि | १२२१ •
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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