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________________ १२.. वर्तमान प्रकरण है। हम इस कवि को कथा-प्रासंगिक कवियोंवाली छन कवि की श्रेणी में रखते हैं। उदाहरणार्थ इनके कुछ छंद नीचे लिखे जाते हैंरामनाम जिंखि बाँचन लागे ; धिक-धिक करि दोउ भूसुर भागे। सुनि पहलाद बचन कह दीना ; मोंहि धिक कत महिदेव प्रबीना। धिक नरेस जो प्रजा सतावै ; धिक धनवंत उथिरता पावै। धिक सुरलोक सोकप्रद सोई ; पुनरागमन जहाँ ते होई। धिक नर देह जरापन रोगा; राम भजन बिन धिक पंजोगा। कोउ कह धिक जीवन गुनहीना ; धौं कह सुत कोउ बिभवं बिहीना। सबै असत्य सत्य मत एहा ; राम भजन बिनु धिक नर देहा। धिक छत्री जो समर सभीता; बैखानस बिषयन मन जीता। धिक धिक तपसी तप करहि, तन कसि मन बस नाहि; परमारथ पथ पाउ धरि, फिरि स्वारथ लपटाहि । हटकि-हटकि हारे निपट, पटक-पटकि महि पानि ; जाय पुकारे राउ पहँ, बालक सठ हठ खानि । रंध्र मास बीते यहि भाँती ; महा बायु किय प्रकट कहाँती। भयो अधीर पीर तन माहीं ; छिन मुर्छित छिन.. रुदन किराही । रूप चतुरभुज दीख न आगे ; कहाँ-कहाँ कति रोवन लागे। . कीन्हेउ जबहिं पयोधर पाना ; भूली सुमति मोह, लपटाना। जननी उबटन तेल करावा ; अति पुनीत. पलना पौढ़ावा । कादहि कीट दुसह, दुख पावा ; रहै रोय मुख बचन न भावा । कीड़ा' करत बालपन बीता ; तरुन भए तरुनी मन जीता। भूखन बसन अलंकृत सोहैं ; चलै बाम पुनि-पुनि जग मोहैं। फूले फिरत बिम्मेह बस, भूले विषय बिलास ; . बहु ममता समता बिगत, लखै न खल निज नास ।
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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