________________
वर्तमान प्रकरण
समझकर नौकरी कर ली । हम इनकी गणना तोष कवि की श्रेणी में करते हैं । इनके कुछ छंद नीचे दिए जाते हैं ।
उदाहरण
१२०१
सुखद सुजन ही के मान के करनहार, दीनन के दारिद- दवा को जलधर हौ ; कहै कबि ललित प्रभाव के प्रभाकर से, बस रहा के जसही के सुधाकर हौ । आछे रहौ राजन के राज दिगबिजैसिंह, धीर-धुरधर सुखमा के मानसर सोभा सील बर हौ परम प्रीति पर हौ,
निगम नीतिधर हौ हमारे देववर हौ ॥ १ ॥ बंगरे लतान युत सगरे बिटप बर,
सुमन समूह सोहैं अगरे सुबेस को ; भौंरन के भार डार-द्वार पै अपार दुति, कोकिल पुकार हरै त्रिविध कलेस को । कहत बनै न कछू ललित निहारिबे मैं,
उमहो परत सुख मानौ देस- देस को ; जनक सो राजत जनकजू को बाग ताको,
;
;
नंदन सो लागै वन नंदन सुरेस को ॥ २ ॥ मार-लजावनहार कुमार हौ देखिबे को हग ये ललचात हैं भूले सुगंध सों फूले सरोज से श्रानन पै लिहू मड़रात हैं । नेक चले मग मैं पग द्वै ललिते श्रम- सीकर से सरसात हैं तोरिहौ कैसे प्रसून लला ये प्रसूनहु ते अति कोमल गात हैं ॥३॥ ( २१८१ ) गोविंदनारायण मिश्र
;
ये भाषा के एक अच्छे विद्वान् तथा सुयोग्य लेखक थे । श्रापका जन्म में हुआ था, आपने कई पत्रों का संपादन कार्य उत्तमता से
१६१६