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मिश्रबंधु - विनोद
आशा,
श्रार्यमित्र, उपन्यास, उपन्यासबहार, कला कुशल, उपन्यास लहरी, कबीरपंथी, साहित्य, भविष्य, आर्य, शंकर, महावीर, भ्रमर, भगीरथ, तरंगिणी, कान्यकुब्ज, कान्यकुब्ज हितकारी, कान्यकुब्ज सुधारक, कुर्मी हितैषी, • खत्रीहितकारी, गढ़वाली, जीवदयाधर्मामृत, जैनगज़ट, टाडनामा, जैनप्रदीप, दारोगादस्तर, तंत्रप्रभाकर, हिंदी मनोरंजन, नागरीप्रचारक, दीनबंधु, पांचाल पंडिता, रस्तोगी, जागीडा समाचार, डांगीमित्र, विलासिनी, बड़ा बाज़ारगज़ट, बाल प्रभाकर, वीरभारत, ब्राह्मणरसिकलहरी, पीयूषप्रवाह, सारस्वत, खत्रीसर्वस्व, भूमिहार ब्राह्मण- पत्रिका, भारतवासी, मारवाड़ी, मिथिलामिहिर, सरयूपारीण, पाटलिपुत्र, शिक्षा, नारद, यंगविहार, राजपूत, रसिकरहस्य, राजस्थान केसरी, उषा, सेवा, मालवमयूर, नवनीतसद्धर्म, सत्यसिंधु, सारस्वत, सोलजर - पत्रिका, साहित्यसरोज, कमला, शक्ति, स्वदेशबांधव, हितवर्ता, सुधानिधि, हिंदीप्रकाश, हिंदीसाहित्य, हिंदूबांधव, शारदा, क्षत्रियमित्र, वीरसंदेश, विद्या, समन्वय, हिंदी-प्रचारक (मद्रास), युगप्रवेश ( मद्रास ), शुद्धिसमाचार, श्रोसवाल गजट, कलवारकेसरी, हयहयमित्र, रँगीला, भूत आदि ऐसे सामयिक पत्र हैं, जो बाबू राधाकृष्णदास कृत इतिहास के लिखे जाने के बाद प्रकाशित होने लगे। इनमें से कतिपय बंद भी हो गए, पर अधिकांश अब तक चल रहे हैं और उनसे हिंदी की अच्छी सेवा हो रही हैं । तो भी कहना ही पड़ता है कि इनसे और भी विशेष लाभ हो सकता है और हमें दृढ़ आशा है कि इनके विज्ञ संपादकगण इस ओर क्रमशः समुचित प्रकार से ध्यान देंगे, समयोपयोगी विचारों और विषयों की ओर पूर्ण झुकाव हुए विना अब काम नहीं चल सकता। इधर 'माधुरी' पत्रिका ने हिंदी संसार में युगांतर उपस्थित करदिया । इसले हिंदी साहित्य की बड़ी सेवा हुई । 'आज' और 'स्वतंत्र ' दैनिक भी परमोपयोगी हैं। 'साहित्य समालोचक' पत्र की विद्वानों में प्रतिष्ठा है । इधर सुधा और मनोरमा पत्रिकाएँ भी अच्छी निकल
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