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________________ वर्तमान प्रकरण ११८६ प्रयाग से हुआ और प्रायः सभी तत्कालीन नामी लेखक उसमें लेख देने लगे । इसके संपादन का भार पहले पाँच सज्जनों की एक समिति पर रहा और पीछे से केवलं बाबू श्यामसुंदरदास बी० ए० को यह काम सँभालना पड़ा । अंत में पंडित महावीरप्रसाद द्विवेदी ने संपादन-भार उठाया और एक वर्ष को छोड़, जब कि पंडित देवीप्रसाद शुक्ल बी० ए० संपादकत्व के काम पर रहे, द्विवेदीजी इसे बड़ी योग्यता के साथ चलाते रहे, द्विवेदीजी के अवसर ग्रहण करने पर अब इसे पदुमलाल पुन्नालाल बक्सी तथा देवीदत्त शुक्ल उत्तमता से चला रहे हैं। कमला, लक्ष्मी, सुदर्शन, समालोचक, छत्तीसगढ़-मित्र, राघवेंद्र, मर्यादा, इंदु, यादवेंद्र इत्यादि कई पत्र-पत्रिकाएँ इसी ढंग पर निकलीं, पर स्थिर न रह सकीं । स्त्रियों के उपयोगी पत्र-पत्रिकाओं में भारतभगिनी, स्त्रीधर्मशिक्षक, महिला, गृहलक्ष्मी और स्वा दर्पण हैं । स्त्रियोपयोगी पत्र पत्रिकानों में चाँद बढ़िया है । काशी - नागरीप्रचारिणी सभा एक मासिक पत्रिका, एक त्रैमासिक ग्रंथमाला और एक लेख - माला प्रकाशित करती थी, परंतु अब त्रैमासिक पत्रिका बहुत अच्छे रूप में निकल रही है । देवनागर ने अनेक भाषाओं के लेखों को नागरी अक्षरों में प्रकाशित कर और अन्य उपायों द्वारा हिंदी भाषा और विशेषतया नागरी लिपि का अच्छा उपकार किया । परंतु हिंदी के दुर्भाग्य से वह स्थायी न हो सका । चित्रमय जगत् हिंदी - पत्रों में बड़े ही गौरव का है । कविता-संबंधी पत्रों में रसिकवाटिका, रसिकमित्र, काव्यसुधाधर, हल्दी-कविकीर्तिप्रचारक, व्यास पत्रिका, काव्य- कौमुदी, कवि इत्यादि कई पत्र निकले, जिनमें कतिपय कवियों की रचनाएँ अच्छी कही जा सकती हैं। जासूस, व्यापारी, खेतीबारी, देहाती, निगमागमचंद्रिका, सद्धर्मप्रचारक, लक्ष्मी, सनातनधर्मपताका, श्रवधसमाचार, अमृत, अबला हितकारक, श्रार्यप्रभा,
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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