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________________ मिश्रबंधु विनोद शायद सब हिंदी-पत्रों से अधिक थी । परंतु अब उसमें रोचकता का अभाव- सा हो गया है। पंडित कुंदनलाल ने संवत् १६४८ से कुछ दिन " कवि व चित्रकार" पत्र निकाला, पर उनके स्वर्गवास होने पर वह बंद हो गया । 1155 बंबई का श्रीवेंकटेश्वर - समाचार भी एक नामी साप्ताहिक पत्र है, जो प्रायः ३५ वर्ष से हिंदी की अच्छी सेवा कर रहा है । इधर प्रयाग से अभ्युदय पत्र बहुत अच्छा निकल रहा है । यह पहले साप्ताहिक था, फिर अर्द्ध साप्ताहिक रूप में निकलता रहा और इसके पीछे कुछ समय तक दैनिक रहकर अब फिर साप्ताहिक निकल रहा है । इसके लेख तथा टिप्पणियाँ सारगर्भित होती हैं। वर्तमान भी कानपूर से दैनिक निक ता है। कुछ दिन से लखनऊ का आनंद भी दैनिक कर दिया गया है। कानपूर का प्रताप बहुत अच्छी श्रेणी का पत्र है । यह कुछ दिन तक दैनिक निकलता रहा । असहयोग के समय में इसने बहुत ही स्वतंत्रता से काम किया, इसी कारण सरकार का कोप भाजन हो जाने से उसे - दैनिक से साप्ताहिक हो जाना पड़ा । लखनऊ के बालमुकुंद वाजपेयी ने लक्ष्मण- नामक पत्र निकाला था, जो कुछ दिन बहुत स्वाधीनता से चलकर बंद हो गया । कलकत्ते से स्वतंत्र, विश्वमित्र, मतवाला, हिंदूपंच, श्रीकृष्ण-संदेश इत्यादि कई अच्छे पत्र निकलते हैं । श्रागरे का 'श्रार्यमित्र' दिल्ली के हिंदू-संसार, तथा अर्जुन बढ़िया पत्र हैं । महात्मा गांधीजी का 'हिंदी - नवजीवन' पत्र भी बड़ा प्रतिष्ठित पत्र है । लखनऊ से बाबू कृष्ण बलदेव वर्मा ने "विद्याविनोद" नामक साप्ताहिक पत्र कुछ दिन प्रकाशित किया था । "हिंदीकेसरी" तथा कर्मयोगी को गरम दलवालों ने निकाला । कुछ दिन भारतमित्र के अतिरिक्त सर्वहितैषी पत्र भी दैनिक निकलता रहा । इनके अतिरिक्त अन्य पत्र भी अच्छा काम कर रहे हैं । बनारस का " श्राज" अच्छा दैनिक पत्र 1 संवत् १६५६ से सुप्रसिद्ध मासिक पत्रिका सरस्वती का विकास
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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