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________________ ११८६ मिश्रबंधु-विनोद प्रसिद्ध पत्र हिंदी-प्रदीप से अलग था। इसी साल बिहार से 'बिहारबंधु' का जन्म हुआ। भारतेंदुजी ने संवत् १९३० में "हरिश्चंद्र मैगजीन" निकाली, जिसका नाम बदलकर दूसरे साल 'हरिश्चंद्रचंद्रिका' कर दिया, जो संवत् १६४२ तक किसी प्रकार निकलती रही । संवत् १६३४ में भारतमित्र, मित्रविलास, हिंदी-प्रदीप और आर्यदर्पण-नामक प्रसिद्ध पत्रों का जन्म हुआ । 'भारतमित्र' पं० दुर्गाप्रसाद तथा अन्य महाशयों ने निकाला। यह पहला साप्ताहिक पत्र है, जो बड़ी उत्तमता से निकाला गया, और जिसकी प्रणाली बड़ी गौरवान्वित रही है। इसके संपादकों में हरमुकुंद शास्त्री और बालमुकुंद गुप्त प्रधान हुए । गुप्तजी के लेख बड़े ही हँसी-दिल्लगी-पूर्ण तथा गंभीर होते थे। कुछ दिनों से इसका एक दैनिक संस्करण भी निकलने लगा है। परंतु कुछ दिनों से भारतमित्र में उस रोचकता तथा उच्च विचार का अभाव देख पड़ता है। 'मित्रविलास' पंजाब का एक बढ़िया हिंदी पत्र था । "हिंदीप्रदीप' प्रयाग से पंडित बालकृष्णजी भट्ट ने निकाला । इसमें बड़े ही गंभीर तथा उच्च कोटि के लेख निकलते रहे । यह पत्र हिंदी-भाषा का गौरव समझा जाता था, और घाटा खाकर भी भट्टजी उदारभाव से इसे बहुत दिनों तक निकालते रहे । परंतु हाल में कुछ राजनैतिक अड़चन पड़ी, जिस पर विवश होकर भट्टजी ने इसे बंद कर दिया। संवत् १९३५ में कलकत्ता से 'सारसुधानिधि' और 'उचित वक्ता'. नामक पत्र निकले। उचित वक्ता को स्वर्गीय पंडित दुर्गाप्रसाद मिश्र ने निकाला और 'सारसुधानिधि' के संपादक प्रसिद्ध लेखक पंडित सदानंदजी थे । संवत् १९३६ में उदयपुराधीश महाराणा सजन. सिंहजू देव ने प्रसिद्ध पत्र 'सजनकीर्तिसुधाकर' निकाला । महाराणाजी के अकाल मृत्यु से हिंदी की बड़ी ही क्षति हुई। संवत् १९३६ में पंडित प्रतापनारायण मिश्र ने कानपूर से प्रसिद्ध ब्राह्मण पत्र निकाला, जिसने पठित समाज में अपने लेखों के चटकीले.
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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