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________________ वर्तमान प्रकरण ११८॥ पौष १६६७ में इसी बात के पुष्ट्यर्थं प्रयाग में एक लिपि-विस्तार-सम्मेलन हुआ, जिसमें भारतवर्ष के सभी देशों से विद्वान् महाशयों ने मदरास के जस्टिस कृष्णा स्वामी ऐयर के सभापतित्व में नागराक्षरों के प्रचारार्थ योग दिया, और उन्हें सारे देश के लिये सर्वमान्य ठहराया। अब हिंदी के सुदिन-से आते देख पड़ते हैं। इन सभात्रों के अतिरिक्त और भी छोटी-बड़ी सभाएँ यत्र-तत्र नागरी प्रचारार्थ स्थापित हुई हैं। भारतधर्म-महामंडल और आर्य समाज श्रादि धार्मिक सभाएँ भी व्याख्यानों, लेखों, पत्रों एवं ग्रंथों द्वारा हिंदी-प्रचार में अच्छी सहायता कर रही हैं। इन सभाओं ने सबसे अधिक उपकार व्याख्यानदाता उत्पन्न करके किया है। बहुत-से सनातनधर्मी और आर्य-समाजी उपदेशक धारा बाँधकर उत्तम हिंदी में घंटों व्याख्यान दे सकते हैं। इनके नाम समालोचनाओं, चक्र एवं नामावली में मिलेंगे। सामाजिक तथा जातीय सभाएँ भी हिंदी-प्रचार को अनेक प्रकार से लाभ पहुँचा रही हैं। आजकल हिंदी-भाषा के छापेखाने बहुत हैं और उनकी छपाई भी बढ़िया होती है। उनमें वेंकटेश्वर, लचमोवेंकटेश्वर, निर्णय-सागर, इंडियन-प्रेस, भारतमित्र, नवलकिशोर-प्रेस, भारतजीवन, भारत, हरिप्रकाश, खड्गविलास, वैदिक-यंत्रालय, लहरी-प्रेस काशी, वर्मनप्रेस, गंगा-फ्राइनमार्ट-प्रेस, लक्ष्मीनारायण-प्रेस, बेलवेडियर-प्रेस, हिंदी-प्रेस, रामनारायण-प्रेस, अभ्युदय-प्रेस, हिंदोस्तान-प्रेस, प्रताप. प्रेस, वर्तमान-प्रेस ब्रह्म-प्रेस इटावा, सनातनधर्म-प्रेस मुरादाबाद, ज्ञानमंडल-प्रेस काशी, ओंकार-प्रेस, कृष्ण-प्रेस मादि प्रसिद्ध हैं । हिंदी में एफ-मात्र कानूनी पुस्तकें तथा नज़ीरें छापनेवाला कानून-प्रेस, कानपुर भी प्रशंसनीय काम करता है। ___ समय-समय पर समस्यापर्ति के लिये स्थान-स्थान पर कवि-समाज सथा मंडल भी स्थापित हुए हैं। उनमें से प्रधान-प्रधान नाम नीचे लिखे जाते हैं
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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