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परिवर्तन-प्रकरण सुजान, नूतन ब्रह्मचारी, जैसा काम वैसा परिणाम प्रादि देख इनके चमत्कारिक हैं । पद्मावती, शर्मिष्ठा और चंद्रसेन-नामक उत्तम नाटकग्रंथ भी भट्टजी ने रचे ।
नाम-(२०९५ ) आत्माराम । ग्रंथ-शृंगारसप्तशती (संस्कृत)। विवरण-१६२५ के पीछे इन्होंने बिहारीसतसई का संस्कृत में
अनुवाद किया । भारतेंदुजी ने इनको १००) उसकी :: पारितोषिक भी दिया । अतः इनका रचनाकाल संवत्
१६२५ के लगभग है। यथा
अपनय भवबाधाभयं राधे त्वं कुशतासि । हरिरपि धरति हरियुर्ति यदि माधवमुपयासि । .
(२०९६) ब्रज . गोकुल उपनाम ब्रज कायस्थ का जन्म संवत् १८७७ में हुमा तथा संवत् १९६२ में ये स्वर्गवासी हुए । इनका 'संवत् १६४८ के लगभग कविताकाल है । ये बलरामपूरं ज़िला गोंडा में हुए हैं । ये महाराजा दिग्विजयसिंह के यहाँ रहे । इन्होंने पंचदेवपंचक ( १९२४), नीतिमातंड (१९२६), सुतोपदेश (१९३०),वामाविनोद, (१९३०), चौबीस अवतार (१९३१), शोकविनाश (१९३२), शक्तिप्रभाकर (१९३६), टिट्टिभ पाख्यान (१९३७), सुहृदोपदेश, (१९३७), मृगयामयंक (१९३७), दिग्विजयप्रकाश ( १९३६), महारानीधर्मचंद्रिका, एकादशोमाहात्म्य, कृष्णदत्तभूषण, अचलप्रकाश, महावीरप्रकाश, दिग्विजयभूषण संग्रह (१९२५), अष्टयामप्रकाश (१९१८), चित्रकलाधर ( १९२३ ), दूतीदर्पण, नीतिरत्नाकर (१९२१), और नीतिप्रकाश-नामक २२ ग्रंथ बनाए हैं । इनका कोई ग्रंथ हमारे देखने में नहीं पाया. पर पूछ-पाँछ से इन ग्रंथों के नाम निश्चय-पूर्वक बान