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________________ ११४४ मिश्रबंधु-विनोद (२०९२) आनंद कवि ठाकुर दुर्गासिंह आप डिकोलिया ज़िला सीतापूर-निवासी हिंदी के एक प्राचीन और प्रसिद्ध कवि थे। आपने ७० वर्ष की अवस्था भोग की । आपने कुछ ग्रंथ रचे थे, और स्फुट छंद सैकड़ों बनाए हैं। आपकी कविता अच्छी है। काव्यसुधाधर में आपकी समस्या-पूर्तियाँ छपा करती थीं। आप साधारणतया एक बड़े ज़मींदार थे । हमें आनंदजी ने अपने बहुत-से छंद सुनाए थे। " ( २०९३ ) नवीनचंद्र राय इनका जन्म संवत् १८६४ में हुआ था। पिता की शैशवावस्था में ही मृत्यु हो जाने से इनकी शिक्षा अच्छी न हो सकी, पर इन्होंने अपने ही कौशल से १६) मासिक से लेकर ७००) मासिक तक का वेतन भोगा, और विद्याव्यसन के कारण अँगरेज़ी के अतिरिक्त संस्कृत और हिंदी की भी बहुत अच्छी योग्यता प्राप्त कर ली । नवीन बाबू ने इन दोनों भाषाओं में प्रकृष्ट ग्रंथ बनाए और विधवा-विवाह पर भी एक पुस्तक रची । इन्होंने पंजाब में स्त्री-शिक्षा-पादप का बीज बोया और लाहौर में नार्मल फ्रीमेल-स्कूल स्थापित किया। हिंदी में आपने ज्ञानप्रदायिनी पत्रिका भी निकाली। परोपकार में ये सदा लगे रहे। इनका देहांत संवत् १९४७ में हुआ। ' (२०९४ ) बालकृष्ण भट्ट भट्टजी का जन्म संवत् १६०१ में, प्रयाग में, हुआ था । ये महाशय संस्कृत के अच्छे विद्वान् और भाषा के एक परम प्राचीन लेखक थे। भारतेंदुजी इनके लेख पसंद करते थे । संवत् १९३४ में प्रयाग से हिंदी-प्रदीप-नामक एक सुंदर मासिक पत्र प्रायः ३२ वर्ष तक निकलता रहा । भट्टजी उसके सदैव संपादक रहे । इनकी गद्यलेखन-पटुता एवं गंभीरता सर्वतोभावेन सराहनीय है। कलिराज की सभा, रेन का विकट खेल, बाल-विवाह नाटक, सौ अजान का एक
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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