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परिवर्तन-प्रकरण
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४ लक्ष्मीश्वररत्नाकर ( महाराजा दरभंगा के नाम ), ५ रावणेश्वर कल्पतरु ( राजा गिद्धौर के नाम ), ६ महेश्वरविलास ( ताल्लुक़दार रामपुर मथुरा जिला सीतापुर के नाम ), ७ मुनीश्वर - कल्पतरु ( राव मल्लापुर के नाम ), ८ महेंद्रभूषण ( राजा टीकमगढ़ के नाम ), रघुवीर - विलास ( बाबू गुरुप्रसादसिंह गिद्धौर के नाम ), और १० कमलानंदकल्पतरु ( राजा पूर्निया के नाम ) । इन् ग्रंथों के अतिरिक्त इन्होंने नीचे लिखे हुए और भी ग्रंथ बनाए
११ रामचंद्रभूषण, १२ हनुमतरातक, १३ सरयूलहरी, १४ रामरत्नाकर, और १२ नायिकाभेद का एक और अपूर्ण ग्रंथ ।
इनमें से बहुत-से रीति, अलंकार, भाव-भेद, रसभेद तथा स्फुट विषयों पर बड़े-बड़े ग्रंथ हैं । प्रेमरत्नाकर में इन्होंने बस्ती के राजा पटेश्वरीप्रसादनारायण का भी नाम लिखा है । इनका स्वर्गवास संवत् १६६१ में, श्रयाभ्या में हुआ था । इनके एक पुत्र भी है ।
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लछिराम की भाषा व्रजभाषा है और वह सराहनीय है । इनके वर्तमान कवि होने के कारण इनकी ख्याति बड़ी विस्तीर्ण है। इनकी कविता उत्तम और ललित होती थी । हम इनको तोष, कवि की श्रेणी में रखते हैं ।
उदाहरण
पन्नालाल माले गज-गौहर दुसाल साले, हीरालाल मोती मनि माले परसत हैं महा मतवाले गजराजन के जाले बर,
बाजी खेतवाले जड़े जीन दरसत हैं। afe लहिराम सनमानि कै लुटावै नित,
सावन सुमेघ साहिबी ते सरसत महाराज सीतला कस कर मौजन सों, बारिद लौं बारहौ महीने बरसत हैं ।
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