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________________ मिश्रबंधु-विनोद चैत चंद चाँदनी प्रकाश छोर छिति पर, ___मंजुल मरीचिका तरंग रंग बरसो; कोकनद, किंसुक, अनार, कचनार, लाल, बेला, कंद, बकुल, चमेली, मोतीलर सो । श्रीपति सरस स्याम सुंदरी विहारथल, ____ लछिराम राजै दुज अानंद अमर सो; योंही व्रजबागन विथोरत रतन फैल्यो, ____नागर बसंत रतनाकर सुघर सो । लछिरामजी के ग्रंथ प्रायः सब प्रकाशित हो चुके हैं, और वे बहुत करके भारतजीवन प्रेस में मुद्रित हुए हैं। हमारे पास इनके प्रेमरत्नाकर और रामवंद्रभूषण-नाम दो ग्रंथ वर्तमान हैं । ये दोनों बड़े ग्रंथ हैं। प्रथम त्रैवार्षिक रिपोर्ट में इनके एक और ग्रंथ प्रतापरसभूषण का पता चलता है, तथा [ पं० ० रि० ] में सियारामचरणचंद्रिका का। (२०८८ ) बलदेव . (२०८८ ) द्विज गंग पंडित बलदेवप्रसाद अवस्थी उपनाम द्विज बलदेव कान्यकुब्ज ब्राह्मण कार्तिक बदी १२ संवत् १८६७ को मौजा मानपूर ज़िला सीतापुर में उत्पन्न हुए थे। इनके पिता का नाम व्रजलाल था। वे कृषि-कार्य करते थे । बलदेवजी के तीन विवाह हुए, जिनसे इनके छः पुत्र और तीन कन्याएँ हुई। इनके गंगाधर-नामक एक और पुत्र था जो द्विज गंग के उपनाम से कविता करता था और जिसने शृंगार. चंद्रिका, महेश्वरभूषण, और प्रमदापारिजात-नामक तीन ग्रंथ संवत् १९११, १९५४ और १९५७ में बनाए थे। परंतु दुर्भाग्यवश संभवतः संवत् १६६१ में करीब ३५ वर्ष की अवस्था में अपने पिता के सामने वह गोलोकवासी हुआ । इन तीन ग्रंथों में से प्रथम में
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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