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________________ ३२ मिश्रबंधु-विनोद स्वर्गवास हो गया । कविता साधारण श्रेणी की है । इनका कविताकाल संवत् १६२० मानना चाहिए। उदाहरणरहुरे बसंस सोहि पावस करौंगी अाजु, ____ कोकिल के रचना के मोर सों नचावौंगी ; टूक-टूक चंद्र कै के जुगुनू उड़ाय देहौं, तानि नभलीलपट घटा दरसावौंगी। कहैं शालिग्राम यह चंद्रिका धनुष ज्योति, ___स्वेदन के कनिका से बुंद झरिलायौंगों ; कपटी कुटिल जिन भाल में लिखो है ऐसौ, ____ आज करतार-मुख कारख लगावौंगी। नाम-(२०८५) प्रभुराम । विवरण-ये काठियावाड़ में झालावाड़ प्रांत के धाँगधरा-राज्य के रहनेवाले थे, उन्हीं ने धाँगधरा के श्रीमानसिंहजी के नाम से "मानविनोद" नामक ग्रंथ बनाया है। दूसरा ग्रंथ वीर समाज के धनाढ्य राववंदीजन त्रिकमदास के नाम से "त्रिकमप्रकाश" बनाया है । यह प्रभुराम संवत् १८६० में जन्मे थे और संवत् १६४९ में स्वर्गवासी हुए। (२०८६ ) औध ( अयोध्याप्रसाद वाजपेयी) .. ये महाशय सातन पुरवा, जिला रायबरेली के रहनेवाले महाकवि और सभा-चतुर हो गए हैं । इनका स्वर्गवास वृद्धावस्था में अभी सं० १९५० के लगभग हुआ है। इन्होंने साहित्य-सुधासागर, छंदानंद, राससर्वस्व, रामकवितावली, और शिकारगाह-नामक उत्तम ग्रंथ बनाए हैं। इनको अनुप्रास से विशेष प्रेम था। इनके मिलनेवालों ने हमसे
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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