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परिवर्तन-प्रकरण
1 किया, जिस पर इन्हें बड़ा पुरस्कार दिया गया। इनकी जागीर में पाँच गाँव थे। इन्होंने वंशसमुच्चय तथा डिंगलकोष-नामक ग्रंथ बनाए । इनकी कविता प्राकृत-मिश्रित व्रजभाषा में होती थी। इनकी गणना तोष की श्रेणी में की जाती है। उदाहरणकीरति तिहारी सेत सत्रुन के आनन मैं,
ठौर-ठौर अहो निसि मेचक मिलावै है; बहुत प्रताप सप्त साधु जन मानस को,
ऐसो सीर मृत ज्यों सीतल करावे है। प्रभु से प्रतापी प्रजापालन प्रचंड दंड,
उत्तम प्रजाद चित्त सजन चुरावै है; महाराव राजा श्रीदिवान रघुबीर धीर,
रावरे गुन के रवि लच्छन स्वभावै है ॥ १ ॥ सेस अमरेस औ गनेस पार पावैं नहिं, . जाके पद देखि-देखि आनंद लियो करें; अक्षर है मूल फेरि व्यक्त औ अव्यक्त भेद,
ताही के सहाय सब उपमा दियो करें। अव्यय है संज्ञा तीनौ काल मैं अमोघ क्रिया,
वाके रसलीन होय पीयुष पियो करें; रचना रचावै केहि भाँति से मुरारिदास,
ऐसे शब्द ईश्वर को मनन कियो करें ॥२॥ नाम-(२०८५) शालिग्राम शाकद्वीपी (ब्राह्मण ) कोपा.
गंज, जिला आजमगढ़ । ग्रंथ-(.) काव्यप्रकाश की समालोचना, (२) भाषाभूषण की
समालोचना। विवरण-इनका जन्म संवत् १८१६ में हुमा था, और ११६. में