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नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा / 58
अरस्तू के अनुसार मानवीय कार्यों के समुचित सम्पादन के लिए अनिवार्यता एवं पूर्व आवश्यकता के रूप में भौतिक सम्पदा की सीमित आवश्यकता को अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार कर लिया गया है। इस प्रकार अरस्तू का चिंतन यह स्वीकार करता है कि गरीब व्यक्ति को कोई भी सुख नहीं है, लेकिन सुख के अतिरिक्त अन्य शुभ भी है, जैसे-सौन्दर्य, कुलीनता, सन्मति - कल्याण आदि, जिनकी उपस्थिति या अनुपस्थिति का मानवीय कल्याण (शुभ) के सामान्य दृष्टिकोणों पर प्रभाव पड़ता है, यद्यपि उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से भी सदाचरण के लिए महत्वपूर्ण नहीं बताया जा सकता है। अरस्तू न तो इन्हें अपने शुभ (श्रेयस) की दार्शनिक धारणा से बहिर्गत करते हैं और न अपनी औपचारिक परिभाषा में उन्हें सम्मिलित ही करते हैं। यह सुविचारित लचीलापन ( मध्यम मार्ग) उनके आधारभूत सिद्धांतों में और उनकी समग्र नैतिक विवेचना में परिलक्षित होता है। वे स्पष्ट रूप से यह स्वीकार करते हैं कि यह विषय पूर्णतया वैज्ञानिक विवेचन के योग्य नहीं है । अरस्तू का उद्देश्य मानवीय शुभ का कोई पूर्ण निश्चित सिद्धांत देना नहीं है, अपितु उनका कार्य मानवीय शुभ के अधिक महत्वपूर्ण घटकों का व्यावहारिक पूर्ण विवरण देना है।
अरस्तू की मान्यता यह है कि जनसाधारण के लिए शुभ जीवन का सबसे महत्वपूर्ण घटक कर्म - कौशल में निहित है और यह कर्म कौशल विभिन्न नैतिक उत्तमताओं (प्रकर्षों) प्रत्ययों से निर्धारित होता है। अरस्तू हमेशा उनकी व्याख्या अपने युग की सामान्य नैतिक चेतना के विश्लेषणात्मक निरीक्षण के द्वारा निकाले गए परिणामों के द्वारा प्रस्तुत करते हैं। उनकी दृष्टि में जिस प्रकार की भौतिक सत्यता को हम विशेष भौतिक निरीक्षण के आगमन के द्वारा प्राप्त करते हैं, उसी प्रकार नैतिक सत्य को विशेष नैतिक धारणाओं की सजग तुलना के द्वारा ही पाया जा सकता है। शुभ और अशुभ (बुराई) के सम्बंध में मानवीय निर्णयों की विभिन्नता और विरोध के कारण सभी नैतिक प्रश्नों के पूर्ण निश्चित एवं स्पष्ट उत्तर पाना सम्भव नहीं है, तथापि चिंतन के द्वारा कुछ विरोधी दृष्टिकोणों का निरसन और कुछ का समन्वय किया जा सकता है और अंततोगत्वा वह चिंतन हमें नैतिक सत्य का व्यावहारिक रूप से सारतत्त्व प्रदान करता है। सहज बुद्धि के प्रति इस निष्ठा के कारण यद्यपि अरस्तू के सद्गुण सम्बंधी विवरण में पूर्णता तथा गहनता दोनों की कमी रही है, तथापि इसके साथ ही यहां सुंदर और शुभ जीवन के तत्कालीन ग्रीक आदर्श " के विश्लेषण के रूप में ऐतिहासिक अभिरुचि विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है।