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नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/28
और यथार्थता ला दी थी। हिप्पोहेमस सीधी चौड़ी सड़कों से युक्त नगरों का निर्माण कर वास्तु-शिल्प में क्रांति कर रहे थे। पुराने सैनिक रणनीति के नए पाण्डित्य एवं कौशल से युक्त होकर सिंहनाद कर रहे थे। संगीत कला में नवीन तकनीकी महत्वपूर्ण प्रगति कर रही थी। संगीत के साथ-साथ ग्रीक शिक्षा के सामान्य अंग शारीरिक प्रशिक्षण में भी एक बहुत ही बड़ा परिवर्तन हो चुका था। यदि यह माना जाए कि शारीरिक बल प्रकृति और स्वैच्छिक व्यायाम से नहीं, अपितु पेशेवर प्रशिक्षकों के द्वारा निर्धारित व्यायाम नियमों के सम्यक् परिपालन से प्राप्त होता है, तो यह सोचना भी स्वाभाविक होगा कि आत्मा के उत्कर्ष के लिए भी इन पेशेवर शिक्षकों के द्वारा निर्धारित नियमों का पालन आवश्यक है। पांचवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में सिवली में विकसित वक्तृत्वकला भी इसी सामान्य प्रवृत्ति का एक विशेष महत्वपूर्ण उदाहरण थी। यहां यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि सामान्यतया वक्तव्य का व्यवसाय सोफिस्टो के साथ जुड़ा हुआ है। वस्तुतः सुकरात के युग में लोग सोफिस्टो एवं दार्शनिकों के उच्च दावों को अमान्य करते और वे उन्हें शब्दों की कला सिखाने वाला समझते थे। यह कैसे हुआ इसे समझना आसान हैं जब आचरण की कला की आवश्यकता का अनुभव किया गया, तो उसकी पूर्ति के लिए आचरण सम्बंधी मान्यताओं तथा सिद्धांतों को समझने में प्रवीण वक्तृत्व कला के शिक्षक या साहित्य शास्त्री का आगे आना स्वाभाविक ही था, किंतु उन्हें ऐसा करने के लिए पाखण्डी मानने का कोई कारण नहीं है। उनकी स्थिति हमारे युग के व्यावसायिक पत्रकारों के समान है। व्यावसायिक पत्रकारों को मानव जाति का राजनीतिक प्रशिक्षक इसलिए नहीं माना जाता है कि उनमें राजनयिक प्रज्ञा की विशेष योग्यता है, अपितु इसलिए कि उनमें सामयिक लेखन का कौशल है। प्लेटो ने अपने ग्रंथ में प्रोटागोरस के द्वारा यह कहलवाया है कि सोफिस्ट सद्गुणों के प्रशिक्षण के द्वारा साधारण जन जिस प्रकार कार्य करते हैं, उसकी अपेक्षा थोड़े ही अच्छे ढंग से कार्य कर सकने का दावा करते थे। ऐसे ही हम भी यह कह सकते हैं कि जब सोफिस्ट विचारक सुकरात की कसौटी पर कसे जाते हैं, तो वे उन त्रुटियों (कमियों) में, जिन्हें उन महान् अन्वेषकों (प्रश्नकर्ता) ने भी पूरा नहीं पाया है, वे भी दूसरों की अपेक्षा कुछ ही अधिक उत्कृष्टता दिखा पाते हैं। सुकरात (जन्म लगभग 470 ई.पू. - मृत्यु 399 ई.पू.) ।
सुकरात ने सोफिस्ट विचारकों और उनके अनुयायियों पर जो आरोप