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नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/241 फ्रेंच लेखक के ग्रंथों का वह महत्त्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिलता है, जिसके सम्बंध में बेंथम स्वयं ही पूर्ण सजग था। हल्वेटिअस (1715 से 1771)
हेल्वेटिअस से ही बेंथम ने यह सीखा था कि साधारणतः मनुष्य पूरी तरह से आत्म-प्रेम से शासित है और तथाकथित नैतिक-निर्णय वस्तुतः किसी समाज के सामान्य हितों के सामान्य निर्णय हैं, इसलिए एक ओर यह निरर्थक है कि सामान्य सुख की अभिवृद्धि करने के अतिरिक्त सद्गुण के लिए कोई दूसरा प्रमापक प्रस्तुत किया जावे, दूसरी ओर, मनुष्य को कर्त्तव्य के लिए केवल उपदेश देना और दुराचार के लिए उसकी निंदा करना भी निरर्थक है। नीतिवेत्ता का वास्तविक कार्य सद्गुणों की व्यक्तिगत सुख से संवादिता बताना है। तदनुसार, यद्यपि प्रकृति ने मनुष्यों के हितों को अनेक रूपों में एक-दूसरे से बांध रखा है, फिर भी सहानुभूति के विकास तथा पारस्परिक-सहयोग की आदत के द्वारा शिक्षा इन सम्बंधों को अधिक व्यापक बना सकती है। वह विधि-निर्माता ही सर्वाधिक प्रभावशील नीतिशास्त्री है, जो कि कानून के अंकुशों के द्वारा स्वहित के लिए कार्य करते हुए मानवीय आचरण को जैसा चाहता है, वैसा बदल सकता है। ये कुछ सरल सिद्धांत ही बेंथम के अथक और आजीवन किए गए प्रयासों की सामान्य आधार-भूमि प्रस्तुत करते हैं। कोम्त (1798-1857)
पुनश्च, जे.एस. मिल के परिष्कृत बेंथमवाद में फ्रेंच-विचारक अगस्त कोम्त का प्रभाव एक मुख्य परिष्कारक तत्त्व के रूप में प्रतीत होता है। मुख्य रूप से यह प्रभाव कोम्त के निम्न दो महत्वपूर्ण फ्रेंच ग्रंथों का है- (1) फिलासफी पासेटिव (1829-1842) और नं. (2) सिस्टेमे पोलिटिक्यू पासेटिव (1851-54)। जहां तक उसके द्वारा राजनीतिक-चिंतन से भिन्न नैतिक-चिंतन के प्रभावित होने का प्रश्न है, उसने प्रारम्भिक रूप में मानव-प्रवृत्ति के सामान्य प्रत्यय के द्वारा इसे प्रभावित किया है। कोम्ते के अनुसार, मानवी-प्रगति विशुद्ध रूप से पाशविक-लक्षणों से ऊ पर उठकर मानवीय-गुणों की सतत विकासशील प्रबलता में निहित है। मानवीयगुणों में सामाजिकता सर्वोच्च गुण है और यही सामाजिकता मानवीय-भावनाओं की व्यापक अवस्था का सर्वोच्च स्वरूप तथा सम्पूर्ण मानवता के प्रति श्रद्धा है। तदनुसार, यह मानव में परोपकारिता और दूसरों के लिए जीने की आदत का विकास है। कोम्ते केवल सुखों की अभिवृद्धि की अपेक्षा इसे मानव व्यवहार का परम आदर्श और