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नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/152
अध्याय-4
आधुनिक नीतिशास्त्र (मुख्यतः इंग्लिश)
हाब्स के पूर्व का आधुनिक नीतिशास्त्र
चिंतन की मध्यकालीन विचारधारा और आधुनिक युग के चिंतन की विचारधारा की सधिवेला की योजक कड़ी के रूप में इंग्लैण्ड के जिस महान् लेखक से हम परिचित हैं, वे हैं फ्रांसिस बेकन। बेकन ने अपने ग्रंथ 'एडवान्समेन्ट आफ लर्निंग' में नैतिक दर्शन का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया है। उसमें मुख्य रूप से न्याय-संगत समालोचना और सार्थक सुझाव दिए गए हैं, जो कि नीतिशास्त्र के प्रत्येक विद्यार्थी के लिए पठनीय हैं।
बेकन ने अधिक गहराई तक जाना या उन मूल कारणों पर अधिक बल देना लाभप्रद नहीं समझा और इसके स्थान पर स्वयं प्रकृति' के मार्गदर्शन को ही अधिक महत्व दिया प्रकृति के निरीक्षण से ही हमें यह पता चलता है कि प्रत्येक वस्तु में शुभ, किंतु बेकन को वैज्ञानिक पद्धति के सुधार करने के महत्वपूर्ण कार्य के कारण नीतिशास्त्र को एक ओर रखना पड़ा। उन्होंने अपने नैतिक विचारों को एक संगतिपूर्ण दर्शन के रूप में प्रस्तुत करने का कभी भी ऐसा कोई गम्भीर प्रयत्न नहीं किया, जो कि अपनी पद्धति की दृष्टि से एक स्वतंत्र आधारभूमि पर बुद्धिसंगत रूप में खड़ा हो। इस प्रकार जिस रूपरेखा के सम्बंध में मैंने कहा है, वह कभी पूर्ण नहीं हो पाई। ऐसा भी प्रतीत नहीं होता है कि उनका नैतिक चिंतन के परवर्ती विकास के निर्धारण में कोई वास्तविक प्रभाव पड़ा हो। ईश्वर के द्वारा आदेशित धर्मशास्त्र के स्वतंत्र इंग्लिश नीतिशास्त्र की चिंतनधारा हाव्स की उन आलोचनाओं से प्रारम्भ होती है, जिन्हें हाब्स के विचारों के कारण वैचारिक उत्तेजना मिली थी। हाब्स बेकन की बौद्धिक संतान है। इस बात को प्रतिपादित करने के मोह का किसी भी भले इतिहासवेत्ता को प्रतिरोध करना चाहिए। हमारी मान्यता यह है कि वस्तुतः हाब्स के नैतिक चिंतन का प्रारम्भ बिंदु बेकन के चिंतन से बहुत दूर अर्थात् प्रकृति के नियम के प्रचलित दृष्टिकोण में खोजा जा सकता है। इस प्राकृतिक नियम के राजनीतिक पक्ष के प्रति हाब्स के पहले की संकटपूर्ण शताब्दी की नवीन परिस्थितियों में विशेष रूप से अनपेक्षित ध्यान दिया गया था, क्योंकि जैसा हमनें बताया है, बहुत कुछ रूप से