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________________ नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/151 10. हमें यह ध्यान रखना होगा कि आगस्टिन स्वतंत्रता का अर्थ शुभ या अशुभ संकल्प करने की शक्ति नहीं वरन् शुभ संकल्प करने की शक्ति मानते हैं। उनकी दृष्टि में उच्चतम स्वतंत्रता में अशुभ संकल्प करने की सम्भावना भी नहीं होती है। 11. उनमें कुछ सजाओं (दण्डों) की चर्चा करना सुझावात्मक दिया हो सकता है अतिमौजी और शराबी होने के लिए तीन से चालीस दिन तक के उपवास का प्रायश्चित नियत किया गया है। कामवासना सम्बंधीपापों के लिए पश्चाताप की अवधि दिनों की अपेक्षा वर्षों में बदल जाती है और कुछ अति की स्थितियों में जीवन पर्यंत तक हो सकती है। मनुष्य की हत्या के लिए पश्चाताप की अवधि प्रेरणा और परिस्थितियों के आधार पर एक महीने से दस वर्ष तक हो सकती है। एक और साधुओं और पादरियों के लिए कठोर तपस्या की व्यवस्था की गई है दूसरी और पादरी को मारने वाले के लिए सजा दुगनी होती है। अंधविश्वास के कृत्य जैसे जहां कोई आदमी मरा वहां की आस जगा देना- का प्रायश्चित वर्ष भर की तपस्या हो सकता है। (तुलना कीजिए?) 14. उसने यह सिद्ध करने का साहस किया कि प्राचीन दार्शनिकों को त्रियेक परमेश्वर के सिद्धांत का आंशिक ज्ञान ही था। 15. उसकी सन् 1121 और 1140 की दो धर्मसभाओं में आलोचना की गई। 16. उसका प्रेडेन्सिया को बौद्धिक सद्गुण और नैतिक सद्गुण दोनों में वर्गीकृत करने का औचित्य यह है कि ये बौद्धिक और नैतिक दोनों ही है। यद्यपि यह अरस्तूवी की अपेक्षा पाण्डित्यवादी अधिक है। 17. यह अंतर अरस्तू के द्वारा अनेक स्थानों पर मान्य किया गया है यद्यपि यह वैज्ञानिक विभाजन न होकर जन साधारण का ही विभाजन है। 18. 19. यह पद 'से निकला है इसी अर्थ में जेरमी ने इसका प्रयोग किया है। 20. वह मानता है कि में जिसे वह कहता है उसका भी अर्थ निहित है। 21. यह नाम सेन्ट विक्टोर के ह्यूगो और उसी मठ के परवर्ती रहस्यवादी रिचर्ड दोनों के लिए प्रयुक्त होता है। 22. यह ' नामक ग्रंथ का ही एक भाग है।
SR No.032622
Book TitleNitishastra Ke Iitihas Ki Ruprekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHenri Sizvik
PublisherPrachya Vidyapeeth
Publication Year2017
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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