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________________ नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा / 144 शुभता के पुत्र (ईसा) के और पवित्रात्मा के द्वारा दिया जाने वाला संदेश है। मानसिक कार्यों के इन छः स्तरों के पश्चात् पूर्ण आनंदमय विश्रान्ति की स्थिति आती है, जिसमें सभी बौद्धिक क्रियाएं समाप्त हो जाती हैं और आत्मा पूर्णतया निष्काम होकर परमात्मा के साथ अकथनीय एकता में रहता है। बोबे धरा परम्परानिष्ठ ईसाई धर्म के अंतर्गत मध्ययुगीन प्लेटोवाद एवं नवप्लेटोवाद का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि थामस एक्कीनास मध्ययुगीन अरस्तूवाद का। इसी परम्परा का एक शताब्दी से भी अधिक समय तक गैरसन के द्वारा पालन किया गया, जिसका रहस्यवाद भी विक्टोरिन्स" और बोनबेन्धरा की परम्परा का निर्वाह करता है, किंतु गैरसन के पहले ही जर्मनी में इक्खार्ट और उसके अनुयायियों का अधिक मौलिक और साहसपूर्ण रहस्यवाद विकसित हो गया था, जो कि न केवल पाण्डित्यवादी मान्यताओं के जाल से मुक्त था, वरन् धर्मसंघीय परम्परा से भी युक्त था। इक्खार्ट इक्खार्ट की शिक्षाओं में भी दुनियादारी ( नश्वर वस्तुओं एवं संसार) से वैराग्य की तीव्र इच्छा को बलवती बनाया गया है। रहस्यवाद की सामान्य विशेषता है, यह उस अहं से सर्वथामुक्ति पाने के लिए होता है, जो कि ईश्वरीय सत्ता से वैयक्तिक आत्मा को अलग करता है। उस अहं के पूर्ण विगलन की अवस्था में ईश्वर के अतिरिक्त जानने, इच्छा करने अथवा विचार करने का अन्य कोई विषय नहीं रह जाता है। इस वैयक्तिकता के ( मैं पन) अंश की समाप्ति में ही इक्खार्ट की समग्र नैतिकता निहित है, यद्यपि वह मौलिक सिद्धांत के आधार पर निकाले जाने वाले पलायनवादी और अनैतिक निष्कर्षों प्रति सजग है और शुभ कार्यों को आत्मतत्त्व की परमात्मा के साथ अतिक्राम युति (अलौकिक मिलन) का स्वाभाविक परिणाम बताता है। किंकर्त्तव्य-मीमांसा थामस एक्कीनास के नैतिक विचारों की पूर्व विवेचना में उनकी पुस्तक 'सूमा थियोलाजिया' में प्रस्तुत विशेष कर्त्तव्यों का विस्तार से विवेचन नहीं किया गया है, इसमें अलग-अलग स्रोतों से प्राप्त विभिन्न सामग्री को स्थान दिया गया है और अंततोगत्वा इसका दृष्टिकोण नैतिक उत्कर्ष और संयम नियमों अर्थात् दोनों को बताता है, यद्यपि कुछ प्रश्नों पर सूक्ष्म एवं विस्तृत विचार का
SR No.032622
Book TitleNitishastra Ke Iitihas Ki Ruprekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHenri Sizvik
PublisherPrachya Vidyapeeth
Publication Year2017
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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