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नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/101 14. इस संवाद में विवेचित विषय मूलतया सद्गुण और दुर्गुण का प्रश्न है, जो कि प्लेटोवाद की विशिष्टता है, जबकि अपने आधार के बिना किसी स्वीकृत परिवर्तन के अंतिम रूप से यह प्रश्न दार्शनिक जीवन और शुद्ध आकांक्षामय या ऐन्द्रिक सुखभोग के जीवन के बीच चर्चित रहा है। 15. प्लेटो के सुख एवं दुःख के भौतिक सिद्धांत का आधुनिक एवं सर्वाधिक विकसित रूप उसके ग्रंथ टाइमारस के पृष्ठ 64-65 में पाया जाता है। उसमें संवेदना की व्याख्या शरीर के अंगों में मांसपेशियों की गति के रूप में की गई, जिनके सूक्ष्म अंग गतिशील अवस्था में रहते हैं। यदि गति तीव्र और यकायक विक्षुब्ध करने वाली होकर उस अंग की स्वाभाविक अवस्था को प्रभावित करती है, तो दुःख या पीड़ा होती है, लेकिन जब गति की तीव्रता या अंग की स्वाभाविक अवस्था में जाने की क्रिया क्रमिक होती है और उसकी स्पष्टतः अनुभूति नहीं हो पाती है, तो उसके परिणामस्वरूप बिना परवर्ती सुख के दुःख या बिना पूर्ववर्ती दु:ख के सुख हो सकता है। 16. इसका यह नाम उस व्यायामशाला के आधार पर पड़ा, जो कि उस बगीचे के समीप थी, जिसमें प्लेटो शिक्षा देता था और जो उसके शिष्यों के द्वारा उसे समर्पित कर दी गई थी और बाद में इस संस्था के परवर्ती आचार्यों को उत्तराधिकारी के रूप में प्राप्त होती रही। 17. मैं आगमन शब्द का अधिक व्यापक अर्थ में प्रयोग कर रहा हूं। आगमन का तात्पर्य उस प्रक्रिया से है, जो विशेष प्रकथनों से प्रारम्भ होकर अधिक सामान्य निष्कर्षों पर पहुंचती है। 18. इस पद का सामान्यतया अंग्रेजी अनुवाद आनंद के रूप में किया जाता है। हम यह मान सकते हैं कि यह बहुत ही स्वाभाविक शब्द है, जिसे हम हमारे अस्तित्व के लक्ष्य का उद्देश्य कहने में सहमत हो सकते हैं, लेकिन अंग्रेजी शब्द जिस निश्चितता के साथ अनुभूति की जिस अवस्था को सूचित करता है वह इस पद की व्याख्या में निहित नहीं है, जो अरस्तू ने (प्लेटो और स्टोरइको ने भी) प्रस्तुत की थी, इसलिए किसी बड़ी गलती से बचने के लिए मुझे यह आवश्यक प्रतीत हुआ कि इस शब्द का भाषांतर प्रचलित शब्द हित या कल्याण के रूप में किया जाए। (देखिए-पृष्ठ 48 की टिप्पणी) 19. मुझे लगता है कि आचरण के संदर्भ में प्रयुक्त सुंदर और शुभ के प्रत्ययों में