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________________ जैन- विभूतियाँ 15. आगम प्रभाकर मुनि पुण्य विजय (1895-1971) 57 जन्म : कापड़गंज (गुजरात) 1895 पिताश्री : डाया भाई दोशी माताश्री : माणेक बहन दीक्षा : 1908, पालीताना दिवंगति : मुंबई, 1971 सत्योन्मुखी साधना से अपने जीवन को सच्चिदानन्दमय बनाने वाले मुनि पुण्य विजयजी धर्म एवं संस्कृति के ज्ञानोद्धारक रूप में सदैव स्मरणीय रहेंगे। जैन साहित्य एवं पुरातत्त्व के क्षेत्र में उनका शोधपरक योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्पद है। 'मुनि पुण्यविजयजी का जन्म वि.सं. 1952 कार्तिक शुक्ला पंचमी को कापड़गंज (गुजरात) में डाहया भाई दोशी के घर माता माणेक बहिन की कुक्षी से हुआ | आपका जन्म नाम मणिलाल था । परिवार की स्थिति सामान्य थी । पिताजी बम्बई में थे। बालक मणिलाल छह मास का पालने में झूल रहा था - माँ नदी पर कपड़ा धोने के लिए गई हुई थी - कापड़गंज के मोहल्ला चिंतामणि पार्श्वनाथ जैन मन्दिर में अचानक आग लग गईडाह्याभाई का मकान भी जल कर भस्मीभूत हो गया - एक अदम्य साहसी व्यक्ति प्रज्वलित लपटों में, घर में घुसकर बालक मणिलाल को उठा लाया - बालक को अभयदान मिला और यही बालक आगे जाकर मुनि पुण्यविजय बना । ज्ञानपचंमी के दिन जन्म होने से 'ज्ञान' का सागर बना। इस घटना के बाद यह परिवार मुम्बई चला गया। पिता की मृत्यु हो गई। माँ ने मात्र 13 वर्ष वय के इस बालक को भगवान् महावीर के शासन को समर्पित कर दिया । छाणी ( बड़ोदरा) में प्रवर्त्तक मुनि
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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