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जैन-विभूतियाँ
6. श्री मरुधर केसरी ग्रंथावली, भाग 2 7. मिश्री काव्य कलोल, भाग 3
आपके प्रयत्नों से स्थानकवासी सम्प्रदाय ने बहुत विकास किया। आपकी प्रेरणा से साधना एवं आध्यात्मिक क्रियाओं की संचालना हेतु जैन स्थानकों का निर्माण हुआ, जिनमें मुख्य हैं
1. आचार्य रुघनाथ स्मृति भवन, पाली 2. महावीर भवन (निम्बाज हवेली), जोधपुर 3. आचार्य रघुनाथ चतुर्दश चातुर्मास स्मृति भवन, मेड़ता सिटी 4. महावीर भवन, सादड़ी 5. जैन स्थानक, जैतारण 6. जैन स्थानक, आनंदपुर कालू 7. महावीर मंडप, सोजत रोड़
आप आचार-विचार में शुद्धता को बड़ा महत्त्व देते थे। साधुओं में शिथिलाचार न पनपे इस हेतु सदैव प्रयत्नशील रहे। श्रमण संघीय एकता हेतु संयोजित ऐसे साधु-सम्मेलनों में मुनि श्री की भूमिका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण रही। आपके कुशल नेतृत्व और मार्गदर्शन में सफल हुए सम्मेलन
1. प्रांतीय साधु सम्मेलन, पाली, वि.सं. 1989 2. वृहत साधु सम्मेलन, अजमेर-वि.सं. 1990 3. सादड़ी साधु सम्मेलन-वि.सं. 2009 4. अधिकारी साधु सम्मेलन, सोजत-वि.सं. 2009 5. भीनासर साधु सम्मेलन-वि.सं. 2013 6. शिखर साधु सम्मेलन, अजमेर-वि.सं. 2020 7. प्रांतीय साधु सम्मेलन, सांडेराव, वि.सं. 2029
मुनि मिश्रीमलजी की धर्म एवं समाज सेवा के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए सन् 1936 में उन्हें 'मरुधर-केसरी' के विरुद से विभूषित किया गया। वे सन् 1968 में संघ के प्रवर्तक पद पर आसीन हुए। सन् 1976 में उनकी महती सेवाओं का संघ ने सही आकलन करते हुए