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जैन-विभूतियाँ सार्वजनिक संस्थाओं की स्थापना हुई, जिनमें शिक्षण संस्थाएँ, छात्रावास, पुस्तकालय, वाचनालय, साहित्य शोध संस्थान एवं गौशालाएँ प्रमुख थी। जो व्यवस्थित ढंग से आज भी गतिशील हैं एवं समाज के उत्थान एवं विकास में संलग्न हैं। आपकी प्रेरणा से संचालित सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण संस्थान हैं
1. श्री मरुधर केसरी उ.मा. विद्यालय, राणावास 2. श्री मरुधर केसरी जैन श्रमण विद्यापीठ, सोजत 3. श्री लोकाशाह जैन गुरुकुल, सादड़ी 4. श्री एस.एस. मरुधर केसरी छात्रावास, जैतारण 5. श्री महावीर गौशाला, चंडावल 6. श्री आचार्य रघुनाथ जैन पुस्तकालय, सोजत 7. श्री आचार्य रघुनाथ पर्दूषण पर्व पारमार्थिक समिति, आरकोनम 8. श्री आचार्य रघुनाथ जैन चिकित्सालय, सोजत 9. श्री अखिल भारतीय मरुधर केसरी जैन पारमार्थिक संस्था, पुष्कर 10. श्री वर्द्धमान जैन छात्रावास, राणावास 11. श्री मरुधर केसरी साहित्य प्रकाशन समिति, ब्यावर-जोधपुर
आपने विपुल साहित्य की रचना की। माँ सरस्वती का ग्रंथ-भंडार उनकी लगभग 180 रचनाओं (पाँच हजार पृष्ठों से भी अधिक) की प्रेरणादायक विचार सामग्री से लाभान्वित हुआ। गद्य-पद्य दोनों में साधिकार साहित्य रचना करने वाले वे तपोनिष्ठ मनस्वी थे। साहित्य की प्रत्येक विधा-महाकाव्य, मुक्त, निबंध, शोध-ग्रंथ, उपन्यास, कहानियाँ, नाटक आदि का उपयोग कर उन्होंने अपने विचार जन-मानस के लिए सुग्राह्य बना दिये। उनकी रचनाओं में मुख्य हैं
1. पांडव यशो रसायन (जैन महाभारत) .. 2. राम यशो रसायन (जैन रामायण) 3. कर्म ग्रंथ, भाग 6 4. पंच संग्रह भाग, 10 5. जैन धर्म में तप