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________________ 44 26. ज्ञानचन्द्रिका (नन्दीसूत्र) 27. अनुयोगचन्द्रिका (अनुयोगद्वार ) छंदसूत्र - 28. चूर्णिभाग्य अवचूरि ( निशीथ ) जैन - विभूतियाँ 29. चूर्णिभाग्य अवचूरि ( वृहद् काव्य ) 30. चूर्णिभाग्य अवचूरि (व्यवहार) 31. मुनिहर्षिणी टीका भाष्य ( दशाश्रुत स्कंध ) 32. मुनितोषिणी (आवश्यक सूत्र ) आगम साहित्य के अतिरिक्त उन्होंने न्याय एवं व्याकरण के अनेक ग्रंथों की रचना की। शब्दकोष एवं काव्य ग्रंथ रचे । यह विपुल सर्जन उनकी सर्वतोमुखी प्रतिभा का द्योतक है। उनकी नम्रता, सरलता एवं आत्मा की दिव्यता हर किसी को लुभा लेती थी। इतने परिश्रम एवं अध्यवसाय का प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर भी पड़ा। सन् 1972 में वे अस्वस्थ रहने लगे। सन् 1973 में जीवन के 88 वर्ष पूर्ण कर अहमदाबाद में उन्होंने महाप्रयाण किया ।
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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