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जैन - विभूतियाँ
18. प्रोफेसर डॉ. कांति मर्डिया
: सिरोही (राजस्थान) 1935
: श्रीमती संधारी बेन नथमल सिंघी
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जन्म
माता
पिता
: श्री वरदीचन्द माणेकचन्द मर्डिया
उपलब्धि : M.Sc. (statistics & Pure Mathemation) 1957/1961; Ph.d. (New Castle ) 1967; D.Sc.1973
पद
: प्रोफेसर (यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स) 1973-2000 अलंकरण : रजत पदक (रोयल स्टेटिस्टिकल सोसाईटी) 2003
मूर्धन्य ओसवाल मनीषी श्री कांति मर्डिया ने परिगणन विद्या एवं शुद्ध गणित के क्षेत्र में विदेशों में भारत की कीर्ति पताका फहराई है। राजस्थान के सिरोही नगर में सन् 1935 में श्रेष्ठ वरदीचन्द माणेकचन्द मर्डिया की धर्मपत्नि श्रीमती संधारी बेन की रत्न कुक्षि से जन्मे कान्ति भाई ने मुंबई एवं पूना विश्वविद्यालयों से M.Sc. की डिग्रियाँ हासिल की। सन् 1965 में राजस्थान से परिगणन विद्या में डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित हो सन् 1967 में यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू कासल से फिर पी-एच.डी. की उपाधि से सम्मानित किए गए। परिगणन विद्या के क्षेत्र में अपने शोधपूर्ण अवदान के लिए विश्व विद्यालय ने सन् 1973 में उन्हें 'डॉक्टर ऑफ साईन्स' की उपाधि अर्पित की। सन् 1973 में ही यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के 'प्रयुक्त परिगणन विद्या' विभाग में प्रोफेसर पद पर आपकी नियुक्ति हुई, जहाँ सन् 2000 तक उन्होंने अपनी महत्त्वपूर्ण सेवाएँ दी। सेवा निवृत्ति के बाद भी विश्व विद्यालय में उनके लिए विशेषतः निर्मित पद " वरिष्ठ शोध प्राध्यापक' पद पर वे अनवरत कार्यशील हैं।
सन् 1993 से 2001 तक कांतिभाई ने विश्व विद्यालय के 'मेडिकल इमेजिंग रीसर्च केन्द्र' के निर्देशक का पदभार संभाला। आपके 200 से भी अधिक शोध-पत्र विश्व की उच्च स्तरीय शोध-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं, जिनमें तीन गुम्फाक्षरीय प्रबंध तो विश्व विश्रुत हैं । उनकी चिकत्सकीय प्रतिच्छाया एवं परिमाण - जीविकी सम्बंधी शोधें महत्त्वपूर्ण हैं। सन् 1973 में उन्होंने इस हेतु एक कर्मशाला का आयोजन - निर्देशन भी किया, जिसे अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता एवं ख्याति मिली । विश्व के मान्य विश्व विद्यालयों, यथा-प्रिंसटन, हार्वर्ड (अमरीका), रोम (इटली), गेनाडा (स्पेन) आई एस आई, कलकत्ता आदि ने उन्हें अभ्यागत- प्रोफेसर नियुक्त कर उनका समुचित सम्मान किया है। सन् 2003 में 'रोयल स्टेटिस्टीकल सोसाईटी' ने परिगणनविज्ञान सम्बंधी महत्त्वपूर्ण अवदान के लिए उन्हें रजत पदक अर्पित किया । सन् 2004 में वणिक संस्थानों की राष्ट्रीय परिषद् द्वारा मर्डिया जी सम्मानित हुए। सन् 2001 में मर्डिया जी ने लीड्स में जैन मन्दिर की स्थापना करवाई। वे "योर्कशायर जैन फाउंडेशन' के संस्थापक / चेयरमैन हैं। ‘'जैन विद्या की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि" नामक रचना प्रो. मार्डिया के पांडित्य का धर्मालोकित शिखर-बिन्दु है ।