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जैन- विभूतियाँ
उनके सुपुत्र सुश्री चन्दनमल सदैव वैचारिक एवं सांस्कृतिक क्रांति को समर्पित रहे। उनका विवाह पश्चिमी बंगाल के उपमुख्यमंत्री रहे, शहर वाली ओसवाल समाज के अग्रणी श्री विजयसिंह जी नाहर की सुपुत्री से हुआ। तृतीय पुत्र श्री छतरसिंह एवं चतुर्थ पुत्र निर्मलकुमार कलकत्ता में व्यवसायरत हैं। उनकी सुपुत्री सुजानगढ़ के श्री मनोहरमलजी लोढ़ा को ब्याही है। द्वितीय पुत्र श्री मदनचन्द को लाडनूँ के प्रसिद्ध सर्वोदयी नेता महालचन्दजी बोथरा की सुपुत्री कान्ता ब्याही है। उन्होंने 'आल्टरनेटिव मेडीसिन' में एम.डी. की डिग्री हासिल की है। वे नाड़ी विशेषज्ञ हैं । 'ध्यान' की गरिमा से वेष्ठित मदनचन्दजी सम्प्रति एक्यूपंक्चर एवं अन्य पद्धतियों से इलाज करते हैं । उनके पुत्र अरुण एवं अनिल कलकत्ता में ही व्यवसायरत हैं। ज्येष्ठ पुत्रवधू सुचन्द्रा को शास्त्रीय गायन में महारत हासिल है। छोटी पुत्रवधू रेखा ने इतिहास पर शोध कर डाक्टरेट (Ph.D.) की डिग्री ली है।
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17. श्री रिखबचन्द जैन
बीकानेर के सुप्रसिद्ध बैद खानदान में जेसराज जी हुए जिनके सुपुत्र रिखबचन्दजी देश के वस्त्र उद्योग में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। आपका जन्म बीकानेर में सन् 1944 में हुआ। 1964 कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक होकर आपने 1966 में चार्टर्ड सेक्रेटरीशिप एवं 1967 में MBA परीक्षाएँ उत्तीर्ण की। आपके शोधपत्र अनेकानेक देशी एवं अन्तर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में पढ़े गए । वेस्ट इन्डीज की बूर्के युनिवर्सिटी ने सन् 2003 में आपको Business Management विषय में मानद Ph. D. उपाधि देकर सम्मानित किया । "सेक्रेटेरियल प्रेक्टिस' नामक आपका ग्रंथ वर्ल्ड प्रेस ने प्रकाशित किया है। सन् 1985 में आपने "25 वर्षों की बुनकरी उद्योग' ग्रंथ प्रकाशित किया, जिसका विमोचन तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ. वेंकटरमन ने किया था।
आपने सन् 1964 में सुप्रसिद्ध व्यावसायिक प्रतिष्ठान टी. टी. इन्डस्ट्रीज की नींव रखी। चन्द वर्षों में ही पहनने के वस्त्र निर्माण करने के क्षेत्र में यह संस्थान एवं इसके बनाए वस्त्र देश ही नहीं, विदेशों में भी ख्याति अर्जित कर चुके हैं। अब इस फर्म का सालाना टर्न ओवर 150 करोड़ से भी अधिक है। आपने अपनी व्यावसायिक सफलताओं का लाभ सम्पूर्ण समाज को आवंटित किया है। अनेक जनहितकारी प्रवृत्तियों के संचालन में आपका योगदान रहता है। बंगाल होजियरी एसोसियेशन एवं नई दिल्ली होजियरी मेनुफेक्चरर्स एसोसियेशन ने आपकी उपलब्धियों का समुचित सम्मान किया है। बीकानेर संस्थापित "सुगनी देवी जेसराज बैद हस्पताल एवं रिसर्च सेंटर'' आपकी यशगाथा का मुखर वाचक है। आप अनेकानेक सर्वजनिक प्रतिष्ठानों के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, सक्रिय सदस्य रहे हैं, जिनमें मुख्य हैं - आचार्य नगराज स्प्रीचुअल सेंटर, बीकानेर मातृ मंगल प्रतिष्ठान, जैन विश्वभारती लाडनूँ, महावीर इंटरनेशनल, अहिंसा कीर्तिन्यास आदि ।