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________________ जैन- विभूतियाँ 105. सर सेठ भागचन्द सोनी (1904 - 1983 ) 406 जन्म पिताश्री : रा. ब. टीकमचन्द सोनी पद / उपाधि : राय बहादुर (1935), OBE (1941), Knight (1944), Hon-Leutinant (1945) : 1904 दिवंगत अजमेर का सोनी परिवार भारतवर्ष के समृद्ध जैन परिवारों में अग्रगण्य माना जाता है। इस परिवार के पूर्वज 180 वर्ष पूर्व किशनगढ़ से आकर अजमेर में बसे । सेठ जवाहरमलजी ने फर्म 'जवाहरमल गम्भीरमल' की स्थापना की। उन्होंने सन् 1855 में अपने निवास स्थान के सामने महापूत जैन मन्दिर का निर्माण कराया। इस मन्दिर में भगवान की समवशरण रचना स्वर्ण रंग से रचित है। उन्होंने सन् 1847 में सम्मेद शिखर जैन तीर्थ के लिए एक हजार श्रावकों का संघ समायोजन किया, जिसे अपनी यात्रा पूरी करने में सात माह लगे एवं लाखों रुपए खर्च हुए । : 1983 इसी परिवार के सेठ मूलचन्द सोनी ने बहुत प्रसिद्धि पाई। उन्होंने अपने व्यवसाय विकास हेतु कलकत्ता, मुम्बई आदि बड़े शहरों में अपनी कोठियाँ निर्मित की। वे जैन विद्वानों का बड़ा आदर करते थे । शास्त्र प्रवचन एवं जैन पाठशालाओं के लिए उन्होंने मुक्तहस्त दान दिया। ब्रिटिश सरकार ने उनके सामाजिक अवदानों के लिए उन्हें राय - बहादुर की उपाधि से सम्मानित किया। उन्होंने सन् 1865 में अजमेर जैन नशियाँ का निर्माण कराया जो अब भी एक दार्शनिक स्थान बना हुआ है। इसकी स्वर्ण चित्रकारी सम्पूर्ण करने में देश के प्रसिद्ध चित्रकारों को 25 वर्ष का समय लगा था। उन्होंने अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा की स्थापना की। सन्
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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