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जैन- विभूतियाँ
भगवान महावीर के 2500वें निर्वाण महोत्सव में राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक स्तरों पर साहूजी का सक्रिय सहयोग अभूतपूर्व था । राष्ट्र के मुख्य राजनेता इन उत्सवों में सम्मिलित हुए। भगवान महावीर के राष्ट्रीय स्मारक हेतु दिल्ली में सरकार द्वारा जमीन उपलब्ध करवाने का श्रेय साहूजी को ही है। इन महोत्सवों में साहूजी अदम्य उत्साह से सम्मिलित होते रहे। जैन समाज ने उन्हें दानवीर, समाज शिरोमणि एवं श्रावक शिरोमणि विरुदों से अभिनन्दित किया। सन् 1975 में उनकी सहधर्मिणी रमारानी का वियोग हुआ। इससे उन्हें मानसिक आघात लगा । सन् 1977 में वे स्वयं इस पार्थिव देह को छोड़कर स्वर्गवासी हो गए। समाज विशेषत: दिगम्बर सम्प्रदाय नेतृत्वहीन हो गया। उनके भ्राता श्रेयांस प्रसादजी सुपुत्र अशोककुमार एवं सुपुत्री अलका ने उनके पद चिह्नों पर चलकर समाज को अपनी सेवाएँ अर्पित की।
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